शाहीन बाग: सुप्रीम कोर्ट ने कहा फिलहाल हस्तक्षेप नहीं करेंगे, अब 23 मार्च को सुनवाई

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शाहीन बाग पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- फिलहाल हस्तक्षेप नहीं करेंगे, अब 23 मार्च को सुनवाई ShaheenBaghProtest SupremeCourt

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एक बार फिर सुनवाई हुई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका। सुनवाई को दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फिलहाल इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 23 मार्च की तारीख तय की है।

हमने इस समाचार को संक्षेप में प्रस्तुत किया है ताकि आप इसे तुरंत पढ़ सकें। यदि आप समाचार में रुचि रखते हैं, तो आप पूरा पाठ यहां पढ़ सकते हैं। और पढो:

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Agr ye Hindu kr rhe hote to court next day hi action leti

सबसे पहले तो CAA पर भ्रम फैलाने वाले लोगों को फांसी पर लटकाओ ,,, क्योंकि 24 लोगों की जान गई है लेकिन नागरिकता एक की भी नहीं गई

क्या?सुप्रीम कोर्ट भी नपुंसक हो गया है। जब सुप्रीम कोर्ट ये कह रहा है कि अभी सही समय नहीं है शाहीन बाग के बारे में निर्णय के लिए।अब सुप्रीम कोर्ट भी सही समय देखकर निर्णय लेगा?

हिन्दुओं को कमज़ोर समझा जाता है। इसलिए हिन्दू देवी-देवताओं, परम्पराओं, त्योहारों व संस्कारों का कोई भी मज़ाक उड़ाने लगता है और कोर्ट भी आसानी से हस्तक्षेप कर देता है। मगर, शाहीनबाग के बारे में निर्णय लेने में सुप्रीम_कोर्ट को भी सोचना पड़ रहा है। DelhiRiots2020 ShaheenBagh

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यह सुप्रीम कोर्ट नहीं तवायफ का कोठा है। जहाँ झूठ का मुजरा होता है। आम सडक़ को अवरुद्ध करना, शाहीन बाग के दलाल और सुप्रीम कोर्ट के मीडिएटर वजाहत हबीबुल्ला की नजर में शांतिपूर्ण प्रदर्शन है, और यह झूठ अपने फैसले के बचाव में स्वीकार किया गया।

सड़क खुलवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की इजाजत की आवश्यकता नहीं है। यह कानून व्यवस्था का सवाल है जिसे सुप्रीम कोर्ट नहीं देखता है।

नकली कोर्ट

यही रवैया घातक है। क्या रास्ता खाली करने का निर्देश नहीं दिया जा सकता था। सुना है कभी आधी रात में भी कोर्ट खोला गया था। बुरा न माने असहमति का अधिकार है मुझे।

इस देश का कोर्ट दुनिया का सबसे बेहुदा, मूर्खतापूर्ण निर्णय देने में कोई कसर नहीं छोड़ता।

सुप्रिम कोर्ट चाहता है कि दिल्ली में दंगे होते रहें 23 मार्च तक कोई हस्तक्षेप नहीं। सही निर्णय आर पार हो जाने दिया जाए।

मुझे तो लगता हैं कि सुप्रीम कोर्ट भी Victim Card खेलना सीख लिया है, इसलिए कोई भी फैसला जल्दी नहीं देता... और फैसला देने के बाद यदि उसका पालन नहीं होता तो कहता है कोई मेरा सुनता ही नहीं... वो जानता है शाहीनबाग वाले उसकी नहीं सुनेंगे अगर फैसला उनके हक मे नही होता हैं...

फैट गई क्या सुप्रीम कोर्ट की

दिल्ली को जलाने में सुप्रीम कोर्ट का काम हाथ नहीं फालतू के मामलों में स्वतः संज्ञान लेने के बजाय इसपर कुछ संज्ञान लेते तो अच्छा होता।

Tab tak biryani ke mazze lijiye.

लोगो की परेशानियों से ज्यादा देश पर बोझ इन हरामी दंगाइयों देशद्रोहियों की चिंता हो रही है आपको । ये सारसर गलत ओर बहुत गलत निर्णय हे

ऐसा नही चलेगा मान्यवर ये बहुत गलत कर रहे हो आप दिल्ली और देश की जनता को आपसे बहुत उम्मीदें थीं लेकिन अब सरकार को हस्तक्षेप कर के बल पूर्वक शाहीनबाग का नाटक खत्म करना पड़ेगा।

क्या भड़वागिरी हैं लन्द ये समझ क्या रखा सुप्रीम कोर्ट ने मतलब यही नही चाहते कि लोग यहाँ नही हटे।

सुप्रीम कोर्ट ने कुछ किया होता तो न इस तरह से विरोध बढ़ता और न समर्थन करते- करते हिंसक स्थिति बनती। लगता है सुप्रीम कोर्ट की भी अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहा है।

सबसे बड़ी बाधा यही है । कभी-कभी शक होता है कहीं आर्थिक मदद यहाँ भी तो नहीं दी जा रही, जिसके बदले में मिल रही है तारीख और तारीख ।

मौका दिया है कोर्ट ने पुलिस को बाबा रामदेव के धरने में क्या किया था दिल्ली पुलिस ने ? जबकि वो रामलीला मैदान में था ये तो सड़क जाम किए है ठीक कर दो इन्हें जय श्री राम

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