Do Principles And Passion No Longer Matter In Politics, Questions Raised By Jitin Prasada's Joining BJPक्या राजनीति में अब सिद्धांत और जुनून मायने नहीं रखते, जितिन प्रसाद के भाजपा में जाने से उठे सवालजितिन प्रसाद का भाजपा से जुड़ने का फैसला, वह भी उनके ‘बड़े भाई’ ज्योतिरादित्य सिंधिया के ऐसा ही करने के एक साल बाद, बहुत निराशाजनक है। मैं बिना किसी व्यक्तिगत कड़वाहट के ऐसा कह रहा हूं। दोनों मेरे मित्र थे। इसलिए यह व्यक्तिगत पंसद-नापसंद के बारे में नहीं है। निराशा के पीछे बड़ा कारण...
मेरे लिए राजनीति का अर्थ सिर्फ विचारधारा है। राजनीतिक पार्टियां आदर्श समाज के एक विचार को अपनाती हैं और खुद को उससे जोड़े रखने की शपथ लेती हैं। यह उनकी विचारधारा होती है। जब आप राजनीति में आते हैं, तो आप पार्टी को वैसे नहीं चुनते, जैसे आप वह कंपनी चुनते हैं जो सबसे अच्छी नौकरी का प्रस्ताव दे। आईपीएल में अगर आपको किसी टीम का प्रबंधन, प्रदर्शन या कप्तान पसंद नहीं आता, तो दूसरी टीम में जाने पर कोई दोष नहीं देता। इसके विपरीत राजनीति में आप अपनी ‘टीम’ में होते हैं क्योंकि उसके उद्देश्य में आपका भरोसा है। फिर भले ही आपकी टीम का प्रदर्शन कितना ही खराब हो, उसका कप्तान आपसे कैसा भी व्यवहार करे, आप किसी और कप्तान या पार्टी को अपनी वफादारी नहीं देते, जिसके विचार आपसे विपरीत हों। ऐसा इसलिए क्योंकि आपके अपने विचार, मान्यताएं आपकी राजनीति में इतनी अंतर्निहित हैं कि आप उन्हें छोड़ नहीं...
इन कारणों से आपकी पार्टी छोड़ने की इच्छा हो सकती है। लेकिन अगर आप खुद का और हर उस बात का सम्मान करते हैं, जिसके लिए आप अतीत में खड़े हुए थे, तो आप खुद को ऐसी पार्टी में ले जाएंगे, जिसकी समान मान्यताएं हों या फिर खुद की पार्टी शुरू करेंगे। आप कभी विपरीत विचारधारा वाली पार्टी में नहीं जाएंगे।
ShashiTharoor Please tell something about this current,old and serious topic 😘
ShashiTharoor राजनीति अब सिद्धांतों की बात नहीं रह गई. जो लोग कांग्रेस की बदौलत सांसद बने फिर महत्वपूर्ण केंद्रीय मंत्री बने वो अब काँग्रेस को ग्यान बांट रहे हैं जबकि दिल्ली में अपने लोकसभा क्षेत्र में एक MLA तो क्या एक पार्षद तक अपने दम पर जितवा कर नहीं ला सकते।
ShashiTharoor राजनीति में सिद्धांत और जूनून होता तो कांग्रेस अध्यक्ष गांधी/वाड्रा परिवार के बाहर का होता.. आपके सिद्धांत और जूनून गांधी/वाड्रा परिवार की चाटुकारिता तक ही सीमित है... थोड़ी हिम्मत तो दिखाइये जनाब।
ShashiTharoor जिस तरह लोहे की अलग अलग किस्में होती हैं, कच्चा लोहा, कास्ट आयरन, पक्का लोहा उसी तरह नेताओं की भी अलग अलग किस्में होती हैं। कुछ केवल आज के बारे मैं सोचते हैं, कुछ बच्चों की पीढ़ियों के बारे मैं सोचते हैं, कुछ अपनी बेहतर रंगीनियत के बारे मैं सोचते हैं,
ShashiTharoor तुम जैसो के लिए नही ,जो भारत को नीचा दिखाने का काम करते है
ShashiTharoor सवाल किस किस पर उठाओगे, जनाब। कभी पार्टी अपने घर में भी झाँक लें। समस्या का समाधान मिल जायेगा।
ShashiTharoor सिद्धांत? कांग्रेस का क्या सिद्धांत है? परिवार की चापलूसी करना? करप्शन? डिवाइड एंड रूल?
ShashiTharoor राजस्थान में बसपा 6 विधायक अभी किस पार्टी में है जिन्होंने राजस्थान में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस का समर्थन किया था
ShashiTharoor कांग्रेस एक पारिवारिक पार्टी बन कर रह गई है देश में ऐसा कोई राज्य नही जहां कांग्रेसियों में पार्टी से मोहभंग हो चुका है जो परिवार की चापलूसी करेगा वो ही पार्टी में रहेगा , राजस्थान , पंजाब , मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश कांग्रेस का पतन कांग्रेसियों ने ही किया
ShashiTharoor आदरणीय मुख्यमंत्री जी और शिक्षा मंत्री जी आपसे हमारा विनम्रता पूर्ण आग्रह हैं।कि RSOS_EXAM_Cancel_करे आपका हम सब आभारी रहेंगे RSOS_के_छात्रों_को_प्रमोट_करें आपका ये फैसला लाखों छात्रों का 1साल बचा सकता हैं। rajstateopen GovindDotasra aajtak dainikloknayak ashokgehlot51
ShashiTharoor बहुत अच्छी बात है... सबसे पहले धर्मनिरपेक्ष समता पर बहस की जाए.... भारत की सभी बेटियाँ संविधान के लिए समान हैं कि नहीं... यदि हां तो शहबनों प्रकरण क्या है ? पत्नी गुजारा भत्ता क्या है? मुस्लिम लड़की और हिंदू लड़की में मैरिज एक्ट के मामले में विभेद क्या है?
ShashiTharoor थरूर जी समय के साथ साथ सिद्धांत भी बदल गऐ हैं , सवाल यह है कि ऐसी स्थिति आई कैसे है ।
ShashiTharoor राजनीति में सिद्धांत और जुनून की बात उस पार्टी के नेता कर रहे हैं जिस पार्टी ने अनैतिक तरीके से विपक्ष की सरकारों को तोड़ा गिराया बर्खास्त किया देश को आपातकाल में झोंक दिया सारे लोकतांत्रिक मूल्यों को खत्म कर दिया आया राम गया राम की राजनीति की शुरुआत भी कांग्रेस ने ही की थी
ShashiTharoor लेकिन अमूमन हर भारतीय के मन में एक ही बात है - क्या सिर्फ गाँधी - नेहरू परिवार का ग़ुलामी करना ही काँग्रेसियों का काम क्या काँग्रेस का मालिकाना हक सिर्फ गाँधी-नेहरू परिवार को है ?
ShashiTharoor ये बात जाकर पप्पू RahulGandhi से पूछो, की क्यो वह अपने नेता को रोक नही पा रहे है, सिंधिया, हिमंता शर्मा, और अब जितिन प्रसाद।
ShashiTharoor सम्भवतः अब राजनीती में ऐसी घटनाएं आम हो गयी हैं।स्वार्थ देखकर नेता पार्टी बदलते हैं और इसे जनसेवा और सिंद्धान्तो पर चलने का चोंगा पहना देते हैं
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