विडंबना! जब सुप्रीम कोर्ट ने अपनी अपील के लिए हाई कोर्ट में खटखटाया था दरवाजा

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विडंबना! जब सुप्रीम कोर्ट ने अपनी अपील के लिए हाई कोर्ट में खटखटाया था दरवाजा SupremeCourt

उच्चतम न्यायालय के नए आदेश के बाद से मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय भी सूचना के अधिकार के दायरे में शामिल कर लिया गया है। दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पारदर्शिता से न्यायिक आजादी प्रभावित नहीं होती। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली इस संवैधानिक बेंच में जस्टिस एन वी रमन्ना, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल हैं। इस पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने चार अप्रैल को इस संबंध में फैसला सुरक्षित रख लिया...

सुप्रीम कोर्ट के सामने यह मामला तब आया, जब सुप्रीम कोर्ट के महासचिव ने जनवरी 2010 में दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ अपील की, जिसमें सीजेआइ के दफ्तर को आरटीआइ के तहत माना गया। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में सीजेआइ ऑफिस को आरटीआइ कानून की धारा 2 के तहत ‘पब्लिक अथॉरिटी’ बताया। इस संपूर्ण मामले की शुरूआत तब हुई जब आरटीआइ कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल ने चीफ जस्टिस के कार्यालय को आरटीआइ के दायरे में लाने के लिए याचिका दायर की। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और...

निजता के अधिकार बनाम पारदर्शिता की विवेचना में सुप्रीम कोर्ट ने कोलेजियम निर्णय पर भी प्रकाश डाला है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कोलेजियम में सूचनाओं को दो रूपों में रखा जा सकता है- प्रथम ‘इनपुट’ और द्वितीय ‘आउटपुट।’ ‘आउटपुट’ कोलेजियम संबंधी निर्णय का अंतिम उत्पाद है, जो पब्लिक डोमेन में होता ही है। लेकिन ‘इनपुट’ के अंतर्गत न्यायाधीशों की विभिन्न सूचनाओं का डाटा होता है, जिसके आधार पर कोलेजियम निर्णय लेता है। ऐसे में जनहित के नाम पर कोलेजियम के पास उपलब्ध सभी डाटा को सार्वजनिक नहीं किया जा...

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोलेजियम द्वारा की जाने वाली जजों की नियुक्ति की सिफारिश के साथ सिर्फ नाम ही उजागर किए जाएंगे, कारण नहीं। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कोलेजियम के सभी फैसले सार्वजनिक होने से जजों की नियुक्ति, प्रोन्नति पब्लिक डिबेट बन जाएगी, जो न्यायपालिका के लिए उचित नहीं है। कोलेजियम व्यवस्था में पारदर्शिता की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी। इस निर्णय से कोलेजियम व्यवस्था में पारदर्शिता में अवश्य ही वृद्धि होगी। सीजेआइ के ऑफिस को सूचना के अधिकार कानून के तहत लाने वाला फैसला...

 

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