हेमा मालिनी ने कहा,"बंदरों के प्राकृतिक आवास में कमी आई है और जब वे खाने की तलाश में आवासीय क्षेत्रों में आते हैं तो, वृंदावन के लोगों को उनसे सख्ती से निपटने को मजबूर होना पड़ता है. तीर्थयात्री बंदरों को तले हुए भोजन कचौड़ी व समोसा देते हैं, जिससे वे बीमार पड़ते हैं."
लोक जनशक्ति पार्टी के सदस्य चिराग पासवान ने हेमा के विचार से सहमति जताई और सदन को सूचित किया कि लुटियंस दिल्ली में भी इसका गंभीर संकट है. पासवान ने कहा,"वहां बंदरों का आतंक है. दिल्ली के लुटियंस क्षेत्र में बंदरों के भय के कारण बच्चे बगीचों में नहीं बैठ सकते." तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय ने बताया कि कैसे मथुरा की यात्रा के दौरान बंदर ने उनका चश्मा छीन लिया था और बंदर को 'फ्रूटी' दिए जाने के बाद उन्हें चश्मा वापस मिला था. बंद्योपाध्याय ने कहा कि इलाके में लोगों से अपने चश्मे को पॉकेट में रखने का नोटिस लगाया गया है. सांसद ने कहा कि हालात बहुत खतरनाक है और इस मुद्दे से निपटने के लिए सरकार को उचित उपाय करना चाहिए.
जब आपके लिय जगह है हिंदुस्तान मे तो बंदरों के लिय क्यूँ नहीं ये मत भूलिए बंदर मानव जाति के पूर्वज है
बंदर तो मेरे प्रभु राम के सेवक हे, राम सेना हे उन पर जो भी आरोप हे उन सब कि सजा मे अपने उपर लेता हु मुझे सजा दो वो नादान हे।
Specially Vrindavan के बंदर, Don है। एक भी खाने का चिज आप बिना ढके नही ले जा सेकते, अवि ठंड मे टोपी भी नही छोड़ ते है, दो fruti चाहिए उन लोगो को,चस्मा तो आम बात है।दुकानदारों की हालत बहुत खाराब है एक भी कपडा छात पे नही सुखा पाएंगे, ले के चला जाता है, देहसत मे दिन गुजारना पड़ता है
बिल्कुल सही मुद्दा उठाया है,बस्तियों में और जंगलों में हर तरह से नुक़सान पहुंचा रहे हैं,हमारे छोटे से गाँव में सिर्फ़ रिहायशी इलाक़े में लगभग 500 से ज़्यादा बंदर हैं, और जंगलों की तो कोई गिनती ही नहीं है
सांसद हेमा जी ने बिल्कुल सत्य बात कही है हम भी अभी मथुरा वृंदावन होकर आए हैं हमारे सामने ही एक बच्ची का चश्मा बंदर लेकर चले गए लोगों ने बताया फ्रूटी दे दीजिए चश्मा मिल जाएगा फ्रूटी देने पर चश्मा वापस मिल गया तब तक बंदर ने उसकी डंडी को चबाकर टेढ़ा मेढ़ा कर दिया था
हनुमान चालीसा पढ़ो मैडम जी बन्दर अपने आप भाग जाएंगे।
बहुत खतरनाक है ये जून में मेरे बड़े भाई का चश्मा निकाल लिया था फ्रूटी लेने के बाद दिया 😃🤣 और एक लड़के ने 500 रुपये लिए वो अलग
बंदरो का आतंक पूरे देश मे भयावह रूप ले चुका है।
छोटेसे दिखनेवाला मगर बडा मुद्दा उठाया है, इसी तरह भटकने वाले कुत्तों पर भी तथा कुत्तों द्वारा शिकार होने की घटनाओं पर भी व्यापक चर्चा होनी चाहिये।तथा उसपर भी उपाययोजना होनी चाहिये
वास्तव में यह जन समस्या है जिसे हेमा मालिनी जी ने सही स्थान और समय पर उठाया है। स्वागत योग्य है।
बंदरों के साथ आवारा पशु और कुत्तों का भी मुद्दा उठाना चाहिए,
इंडिया ताज़ा खबर, इंडिया मुख्य बातें
Similar News:आप इससे मिलती-जुलती खबरें भी पढ़ सकते हैं जिन्हें हमने अन्य समाचार स्रोतों से एकत्र किया है।
स्रोत: AajTak - 🏆 5. / 63 और पढो »
स्रोत: AajTak - 🏆 5. / 63 और पढो »
स्रोत: Amar Ujala - 🏆 12. / 51 और पढो »
स्रोत: AajTak - 🏆 5. / 63 और पढो »
स्रोत: AajTak - 🏆 5. / 63 और पढो »
स्रोत: Amar Ujala - 🏆 12. / 51 और पढो »