लक्ष्मी प्रसाद पंत का कॉलम:लक्ष्मी प्रसाद पंत
बहुगुणा के आजादी से पहले के आंदोलन, टिहरी रियासत का तख्तापलट, पर्यावरण मित्र और पद्मविभूषण होने की यात्रा सबको पता है। मैं यहां उनकी सोच और पर्यावरण के प्रति दूरदृष्टि की बात करूंगा। जो दुर्भाग्यवश किसी सरकार या प्रशासन के एजेंडे में कभी नहीं रही। जैसे दिल्ली में टिहरी बांध के खिलाफ 84 दिन का उनका ऐतिहासिक अनशन सिर्फ व्यवस्था को डराने का आंदोलन नहीं था। इसने पहली बार पर्यावरण के पक्ष में युद्ध का डंका बजाया और धरती, जंगल, पहाड़ की बात संसद तक...
पहाड़ों को लेकर बहुगुणा ने बहुत-सी भविष्यवाणियां कीं। मैं भी इनमें से कई का साक्षी रहा। एक पत्रकार के रूप में जब भी मैं उनसे मिलता, उनका सीधा संदेश होता- प्रकृति को अपनी लय से बहने दीजिए, सुरंगों में मत डालिए। प्रकृति ने करवट ली तो आप कहीं के नहीं रहेंगे। आज हर साल होने वाले हादसे प्रकृति की वही प्रतिक्रियाएं हैं जिनका हवाला बहुगुणा ने वर्षों पहले दे दिया था।
इंडिया ताज़ा खबर, इंडिया मुख्य बातें
Similar News:आप इससे मिलती-जुलती खबरें भी पढ़ सकते हैं जिन्हें हमने अन्य समाचार स्रोतों से एकत्र किया है।