रेलवे के निजीकरण के पीछे आखिर सरकार की क्या मंशा क्या है?

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प्रश्न ये है कि रेलवे के निजीकरण के पीछे आखिर सरकार की क्या मंशा क्या है? निजीकरण कर के फिर से क्या जमींदारी प्रथा की वापसी कराना है? स्मरण होना चाहिए कि सार्वजनिक क्षेत्र में आकर ही लोग महाजनों, जमींदारों के चंगुल से मुक्त हुए थे।

चौपालः निजीकरण और मंशा प्रश्न ये है कि निजीकरण कर के फिर से क्या जमींदारी प्रथा की वापसी कराना है? स्मरण होना चाहिए कि सार्वजनिक क्षेत्र में आकर ही लोग महाजनों, जमींदारों के चंगुल से मुक्त हुए थे। जनसत्ता Published on: January 13, 2020 12:50 AM Indian Railway: तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। सार्वजनिक क्षेत्रों का निजीकरण करना सरकार का कितना उचित कदम है? क्या घोषणापत्र में भाजपा ने इसका वादा किया था कि जिस क्षेत्र में देश के सबसे अधिक नियोक्ता और कामगार होंगे, उसका...

प्रश्न ये है कि निजीकरण कर के फिर से क्या जमींदारी प्रथा की वापसी कराना है? स्मरण होना चाहिए कि सार्वजनिक क्षेत्र में आकर ही लोग महाजनों, जमींदारों के चंगुल से मुक्त हुए थे। साधनविहीन भी इन सेवाओं में आ-जाने लगे। लोग आर्थिक रूप से समृद्ध हुए थे, नई चेतना जगी थी। भारत को देखने-समझने का मौका मिला था। लेकिन केंद्र सरकार की तानाशाही और पूंजीपति समर्थक नीति युवाओं को निजी कंपनी में मालिक -मालिक कह कर काम करने के लिए मजबूर कर रही है। अपार संसाधनों वाले देश में रेलवे को निजीकरण करना कतई उचित नहीं...

ऐसे घटनाक्रम समाज के अंदर ही देखने को मिलते हैं, इसलिए व्यक्ति-विशेष के साथ-साथ उस समाज की भी नैतिक जिम्मेदारी तय करना अनिवार्य है। इसके लिए उस मानसिकता को लक्षित किए जाने की आवश्यकता है जो ऐसे किसी भी अपराध के लिए प्रेरित करती हो। आज भारत में महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा सहित हर तरह की सुरक्षा की आवश्यकता है। इसके लिए सरकार, समाज और परिवार सभी को पहल करनी होगी, तभी महिला सुरक्षा का सपना साकार हो सकेगा।Hindi News से जुड़े अपडेट और व्‍यूज लगातार हासिल करने के लिए हमारे साथ फेसबुक पेज और ट्विटर...

 

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