एक दिन पहले 12 जनवरी को हमने स्वामी विवेकानंद का जन्मदिन मनाया। इस भगवाधारी सन्यासी ने हिन्दू धर्म के आध्यात्मिक पक्ष पर जोर दिया और भारतीय संस्कृति के विविधता और सामंजस्य पर आधारित मूल्यों से हमें परिचित करवाया। उन्होंने जो कुछ कहा और लिखा वह बहुत आश्वस्त करने वाला है। विशेषकर वर्तमान समय में जब हिन्दू धर्म के नाम पर अनेकानेक भगवाधारी नफरत फैला रहे हैं और हिंसा भड़का रहे हैं। विवेकानंद एक महान व्यक्ति थे जिन्होंने दुनिया को यह बताया कि मानवता और प्रेम, हिन्दू धर्म के मूलतत्व हैं। शिकागो में...
वे हिन्दू धर्म के राजनीति के साथ घालमेल के सख्त विरोधी थे। उन्होंने पूरे देश की यात्रा की थी और वे जानते थे कि भारत की सांझा संस्कृति की जड़ें कितनी गहरी हैं। जहां हिन्दू धर्म का राजनीति से मिश्रण ‘दूसरों से नफरत करो’ के सिद्धांत पर आधारित था, वहीं विवेकानंद का हिन्दू धर्म प्रेम से परिपूर्ण था और विभिन्न धर्मों की एकता की बात करता था। समाज में धर्म के नाम पर व्याप्त अवांछित प्रथाओं और रस्मों-रिवाजों का विरोध करते हुए वे तार्किकता पर आधारित सोच के पौरोकार थे जो अंधश्रद्धा और पुरोहितों के फरमानों...
जहां आज हम धर्म के नाम पर हिंसा और नफरत का तांडव देख रहे हैं वहीं विवेकानंद ईश्वर को एक मानते थे। “मैं बार-बार जन्म लूं और हजारों कष्ट भोगूं ताकि मैं उस एकमात्र ईश्वर की आराधना कर सकूं जिसका अस्तित्व है, उस एकमात्र ईश्वर की जिसमें मैं आस्था रखता हूं और जो सभी आत्माओं का योग है- सभी नस्लों और सभी जातियों के दुखियों और गरीबों की आत्माओं का।”
rpuni जिस महान धर्म मे एक चींटी मारना भी हिंसा है वे आज हिंसक कहे जा रहे है , जबकि एक खास तथाकथित धर्म विशेष में त्यौहार पर बकरे से लेकर ऊंट तक को तड़पा कर गला रेतकर मारने की रस्म को अहिंसक और शांति सदभाव का प्रतीक बताया जाता हो इसी को सेक्युलरिज्म का चश्मा कहा जाता है 👍
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