योगेन्द्र यादव का कॉलम: हिंदुस्तानी मानस सब कुछ झेलने के बाद भी आक्रोशित क्यों नहीं होता? ये आस्था है, संतो...

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योगेन्द्र यादव का कॉलम: हिंदुस्तानी मानस सब कुछ झेलने के बाद भी आक्रोशित क्यों नहीं होता? ये आस्था है, संतोष है, या फिर लाचारी? Opnion Columnist _YogendraYadav

हिंदुस्तानी मानस सब कुछ झेलने के बाद भी आक्रोशित क्यों नहीं होता? ये आस्था है, संतोष है, या फिर लाचारी?इसे आस कहें या आस्था, संतोष या फिर लाचारी? यह एक पुरानी गुत्थी है कि हिंदुस्तानी मानस सब कुछ झेलने के बाद भी आक्रोशित क्यों नहीं होता? यह सवाल उठा, जब इंडिया टुडे के राष्ट्रीय सर्वेक्षण में यह पाया गया कि देश में तिहरे संकट के बावजूद प्रधानमंत्री की लोकप्रियता बरकरार है। विपक्ष वाले अचंभे में थे, उधर सत्तापक्ष जनता को हुई तकलीफ की बातें झुठला रहा था और सरकार की पीठ थपथपा रहा था। दोनों पक्ष...

जून के पूरे महीने और जुलाई के पहले पखवाड़े में हुए इस सर्वेक्षण से साफ होता है कि अभी तक कोरोना की मार तो गांव तक ज्यादा नहीं पहुंची थी, लेकिन लॉकडाउन के चलते ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भारी धक्का लगा था। सिर्फ 5% परिवारों को छोड़कर सभी के काम-धंधे पर लॉकडाउन का असर पड़ा और 44% का काम तो पूरी तरह ठप पड़ गया। गांव के तीन चौथाई लोग मानते हैं कि अभी बेरोजगारी की समस्या बहुत गंभीर है। सरकार दावा करती है कि खेती-किसानी पर लॉकडाउन का ज्यादा असर नहीं हुआ, लेकिन इस सर्वे के आंकड़े इस दावे को झुठलाते हैं।...

ग्रामीण इलाकों में 63% घरों को राशन का अनाज मिला जो कि सरकार के ग्रामीण इलाकों के 75% के मानक से काफी कम है। आंगनबाड़ी या मिड डे मील का राशन सिर्फ एक चौथाई घरों में पहुंचा। वहीं मनरेगा का लाभ केवल 20% परिवार उठा सके। अगर ऐसा सर्वे शहर में हो तो और भी बुरी स्थिति दिखाई देगी, चूंकि शहर की राशन व्यवस्था कमजोर होती है और मनरेगा तो है ही नहीं।

 

आपकी टिप्पणी के लिए धन्यवाद। आपकी टिप्पणी समीक्षा के बाद प्रकाशित की जाएगी।

_YogendraYadav what more proof do you want. only couple of days back friends of Yadav ji did get violent in Banglooru.

_YogendraYadav ऊपर वाले पर भरोसा है जिसके कारण ऐसा किया जा रहा होगा।

_YogendraYadav Yes helplessness whom to have faith! Till today do not know why Yogendra Yadav was called 'kamina' by AAP and why he allowed them go scot free.

_YogendraYadav कुछ के लिए संतोष और कुछ के लिए स्वार्थ की पूर्ति

_YogendraYadav आप तार सप्तक में बजाते हो और लोगों के पास कान ही नहीं. इसमें सिर्फ सुनने वाला ही विफल नहीं, आप भी. अंततः आप भी इसी जनमानस का हिस्सा हो. जनता ज्यादा से ज्यादा केजरीवाल को हजम कर सकती है और आप महात्मा गांधी चाहते हो. फिर होता है ऐसा की कंस को नकारते आप रावण के शागिर्द हो जाते हो.

_YogendraYadav Toh jo Bangalore mein akroshit huve woh Hindustan manas nahin tey kya? Shayad woh danav the

_YogendraYadav ye vishwaas hai re betichod jo tum jaise lund secular nahi samjhenge..

_YogendraYadav Bahut sahi kaha hai aapne sir but hamare Hindustan ki janta samajhati hi nahin hai woh bas tamasha dekhne ki shaukeen hai aur yahi uski majaboori hai lachaari hai. Hamare sabhi Hindustani sab kucch dekhte huye bhi andekha kyon karti hai?

_YogendraYadav

_YogendraYadav Sir AamAadmiParty SanjayAzadSln AapKaGopalRai to aakroshit ho gaye the kyo digvijaya_28 KapilSibal ManishTewari rssurjewala PChidambaram_IN

_YogendraYadav लाचारी,

_YogendraYadav लाचारी ! हर युग मे हम हिंदुस्थानी षडयंत्रो, अपराधों, दमन,भूख आदि के लिए अवतारों की प्रतिकछा ही करते हैं। फिर वे राम, कृष्ण, माहाबीर बुद्ध, राममोहन राय, गांधी ,भगतसिंह ही क्यो न हो।

_YogendraYadav लोग जानते हैं कि आक्रोश से देश का और नुकसान होगा साथ ही सरकार का मुख्य एजेण्डा राजस्थान की तरह सरकार बचाना रह जायेगा।

_YogendraYadav हज़ारों साल की ग़ुलामी ......

_YogendraYadav राष्ट्रवाद की बहस पर राजीव त्यागी ने जब सरदाना और बीजेपी प्रवक्ता को खूब धोया था....उनकी मौत के बाद वायरल हुआ वह वीडियो।।। देखें वीडियो 👇👇👇👇👇👇

_YogendraYadav Vipaksh kamzor hai

_YogendraYadav We campaign in poetry and Govern in prose. Democracy

_SwarajIndia _YogendraYadav हिंदुस्तानी या ........

_YogendraYadav लाचारी

_YogendraYadav Lachari aur santosh

_YogendraYadav जातियों में विभाजित समाज कभी क्रांति नहीं ला सकता है, ब्राह्मण ने ऐसा सामाजिक ढाँचा बनाया है कि उसके वर्चस्व को कोई चुनौती न दे सके । ऐसे ही थोड़े मुहम्मद बिन क़ासिम ने १०-१५ लोगों के साथ भारत पर क़ब्ज़ा कर लिया था कुछ तो वजह रही होगी।

_YogendraYadav For some, first; for some, second; and for some, third Obviously it cannot be one for all

_YogendraYadav आदत है |

_YogendraYadav Harsh reality!!

_YogendraYadav हिंदुस्तानी मानस आक्रोशित होता है।2014 का सत्ता परिवर्तन कोई करिश्मा नहीं था।ये उसी आक्रोश(अन्ना आंदोलन)का परिणाम था बस ये समझीये की उसे सही दिशा नहीं मिली।

_YogendraYadav

_YogendraYadav Bewaqoofi

_YogendraYadav इसको लव dey ko ghanta kuchh nhi pata

_YogendraYadav Lachari

_YogendraYadav हां तो दुग्गल साहब अब क्या बने हैं 🙃

_YogendraYadav Lachari hi samjhiye,. Jiski wajah se Insan kuchh kehne , bolne ki himmat hi nahi juta pata

_YogendraYadav तू अपनी व्यथा बात रहा लतखोर

_YogendraYadav हगेन्द्र यादव का लाल सलाम है

_YogendraYadav महोदय यादव जी,आओ क्या चाहते हो लोग मर जाये आपस मे लड़ कर,किसने आपको नेता बनाया ,किसके लियर नेता गिरी,शर्म करो छि, कितनी घटिया सोच है

_YogendraYadav 1000 Yrs slavery is reason

_YogendraYadav Modiji ke virudh public ko bhadkao.RajatSharmaLive narendramodi_in PiyushGoyal sudhirchaudhary SachinArorra arnab5222 IndiaToday ABPNews karanthapar_in ZeeNews PMOIndia sekhargupta KirenRijiju JagranNews rahulkanwal htTweets

_YogendraYadav दंगों और देश को जलाने का षड्यंत्र करनेवाले टुकड़े टुकड़े गैंग के लोग बैचेन है कि जनता मे आक्रोश क्यों नहीं होता है। टुकड़े टुकड़े गैंग की बैचेनी जनता की बैचेनी नहीं बन रही है तो कोई बहुत बड़ा कारण होगा जो ये गैंग समझ नहीं पा रही है।

_YogendraYadav हिंदुत्व धर्म में समाहित है इसलिए वह अधर्म रूपी अनैतिक कार्यों से दूर रहता है अतः आक्रोशित न हो कर समस्याओं का हल ढूंढना बेहतर समझता है। 🙏🙏🙏

_YogendraYadav कांग्रेस के बनाए गए बुध्दुजीवियों मे अक्ल नहीं है,वे मानसिक गुलाम अपने ऐजेंडें से आगे सोच ही नहीं सकते हैं, अतः बैचेन है। कांग्रेसी खैराती पत्रकारों के गिरोह की बैचेनी यह है बता रही है कि जनता इनको गंभीरता से नहीं लेती है। ना ही ये ऐजेंडा पत्रकार जनता को समझ पा रहे हैं।

_YogendraYadav Those who are driving and consolidating public opinion are extremely greedy people who are looking for few crumbs from the government or are afraid to tell the truth thinking govt backlash. Majority of poor people have no time beyond efforts to make both ends meet. This explains

_YogendraYadav यह हमारे भारत की संस्कृति और संस्कार है, ज्यादा की नहीं जरूरत हमें थोड़े में गुजारा होता है AshokShrivasta6 Aamitabh2

_YogendraYadav क्यूँकि अमूमन हर हिंदुस्तानी के चारों तरफ समस्याओं का एक घेरा होता हैं अब उसमें घेरा बड़ा हो जाए तो ज़्यादा फ़र्क नहीं पड़ता हैं व उसका आक्रोश घेरेकी समस्याओं को छेदने में ही मशगूल रहता हैं।वैसे इस घेरे को तुड़वाने की नेताओं को भी कोई रुचि नहीं होतीहैं क्यूँकि उसमें उनको ख़तरा है

_YogendraYadav इस title को पढ़ने के बाद लगता है अब योगेंद्र यादव भी मुस्लिम्स को भारतीय नही मानते

_YogendraYadav वह दलित भी था और सेकुलर भी और इत्तेफाक ये कि कांग्रेसी भी था. फिर भी उसका घर जला क्योंकि वो 'काफिर' हिन्दू ही था !!

_YogendraYadav Laachari

_YogendraYadav ‘आस्था’ राजनीतिक है और लाभप्रद भी; चतुर सूजानो द्वारा क़ाबिज़, इस मानव जनित व्यवस्था में स्त्रोतों के वितरण में असंतुलन के चलते आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा उसे नियति समझ कर ‘संतोष’ करता है; अर्थशास्त्र के अंतर्गत माँग/आपूर्ति के जंजाल में ग़रीब को ग़रीब रख कर ‘लाचार’ बनाया जाता है.

_YogendraYadav सही कहा हैं योगेन्द्र जी सर्वे के आंकड़े देख के ऐसा लगता है कि इनके सर्वे करने वाले गांव तक या गए ही नहीं या तो गांव वालो ने इन्हे आम बताया तो इन्होंने सर्वे में इमली लिख दिया हो !

_YogendraYadav ये हे समझदारी

_YogendraYadav Or tum jaise kamine jaichando ki dhokebaaji

_YogendraYadav Lachaari

_YogendraYadav आप लोग तो आग लगाने में माहिर हो

_YogendraYadav दौगले पत्रकार जब नेता गिरी में आगये तो संतोषी है अब जनता।

_YogendraYadav Might always has been right

_YogendraYadav केवल लाचारी🤦सत्ता में बैठे माफियाओं और उनकी पालतू पुलिस की हैवानियत का भय !!

_YogendraYadav क्योकि आंदोलन में कोई नेता का बेटा,अमीर या सामाजिक एक्टिविस्ट नहीं मरता,आम आदमी मरता है,पुलिस कार्यवाही उन पर होती है,मजदूरी उनकी मारी जाती है।सबसे बड़ी बात आपका ये रोज का काम है। जनता को भी पता है कि आंदोलन कभी देश के हित के लिए नहीं,पार्टियों के स्वार्थ सिद्धि के लिए होते है।

_YogendraYadav यहाँ के वैल्यू सिस्टम में ही गड़बड़ है

_YogendraYadav लाचारी भी है मज़बूरी है डर भी है और किसी को कुछ फर्क नही पड़ता है, देश मे क्या हो रहा है। लोग इतने रोज़ मर्रा की जिन्दगी मे busy हो गये हैं।

_YogendraYadav यह बेजारी है साहब।

_YogendraYadav संतोष ओर लाचारी।

_YogendraYadav ऐसे मनहूस शख्स की शक्ल देखना हमारी मजबूरी है

_YogendraYadav Isko aag me hi maja ata he.

_YogendraYadav अब्दुल से जाकर पूछो जो मंदिर और लोगों की घर और दुकाने बस ऐसे ही जला देता है

_YogendraYadav

_YogendraYadav अबे ये है कौन

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