मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय आरटीआई के दायरे में: सुप्रीम कोर्ट के फैसले का चौतरफा स्वागत

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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपनी एक बेहद महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय सूचना के अधिकार कानून के तहत सार्वजनिक प्राधिकार यानी कि पब्लिक अथॉरिटी है.

यह निर्णय सुनाने वाली संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में जस्टिस एन वी रमण, जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल थे. जस्टिस रमण ने जस्टिस खन्ना से सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि निजता के अधिकार और पारदर्शिता के अधिकार तथा न्यायपालिका की स्वतंत्रता के बीच संतुलन के फार्मूले को उल्लंघन से संरक्षण प्रदान करना चाहिए.

यह फैसला सुनाने वाले उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एपी शाह पहले ही सेवानिवृत्त हो गये थे जबकि इसके एक अन्य सदस्य जस्टिस विक्रमजीत सेन शीर्ष अदालत के न्यायाधीश पद से सेवानिवृत्त हुए हैं. इस समय इस पीठ के तीसरे सदस्य जस्टिस एस. मुरलीधर उच्च न्यायालय में न्यायाधीश हैं. गैर सरकारी संगठन राष्ट्रमंडल मानवाधिकार पहल के सूचना पहुंच कार्यक्रम के प्रमुख वेंकटेश नायक ने कहा, ‘मैं संविधान पीठ द्वारा कानून में स्थापित रूख दोहराए जाने के फैसले का स्वागत करता हूं कि भारत के प्रधान न्यायाधीश का पद सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत एक लोक प्राधिकार है.’

 

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