सूती कपड़ों के मिलों में ट्रेड यूनियनें भी थीं. धीरे-धीरे ट्रेड यूनियन पर असामाजिक तत्वों का कब्ज़ा होता गया. अगरिपाड़ा का एक बदमाश बाबू रेशिम का 1980 के दशक में इन यूनियनों पर नियंत्रण था.
उन्होंने कहा, "बाबू रेशिम नेशनल मिल वर्कर्स ऑर्गनाइजेशन में सक्रिय था. उसने मज़दूरों को धमकाया और हड़ताल को डिस्टर्ब किया. उसे बायकुला के रामा नाइक से भी मदद मिल रही थी." अपराध और गुंडागर्दी की दुनिया केवल मिल के इलाकों तक सीमित नहीं रही बल्कि हाजी मस्तान, यूसुफ़ पटेल और करीम लाला जैसे अंडरवर्ल्ड डॉन के कब्ज़े में समुद्री बंदरगाह भी आने लगे थे. डोंगरी के दाऊद इब्राहिम, हाजी मस्तान के राइट हैंड माने जाते थे.
Still using landline?😛
उत्तर प्रदेश- 69हजार शिक्षक भर्ती OBC27%/sc21% को शिक्षक बनने से रोका 19हजार पदो का घोटाला किया बीजेपी सरकार ने। हमे हमारा हक चाहिए, हक नही तो वोट नही हमे बेरोजगार किया हम आप को 2022 मे बेरोजगार करेगे। अब ये भगवा रंग आपपे सूट नही करता योगी जी योगी सरकार ने जातिवाद को बढावा दिया।
इंडिया ताज़ा खबर, इंडिया मुख्य बातें
Similar News:आप इससे मिलती-जुलती खबरें भी पढ़ सकते हैं जिन्हें हमने अन्य समाचार स्रोतों से एकत्र किया है।