मां के दुलार की तरह पिता की निगरानी भी बच्चे के लिए बहुत जरूरी है। दोनों का प्यार व देखभाल मिलने से ही बच्चे का भविष्य संवरेगा। दोनों में से किसी एक का भी नहीं होना बच्चे के लिए ठीक नहीं है।
न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी व न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने दो बच्चों की कस्टडी देने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया और फैमली कोर्ट के फैसले को कायम रखा। बच्चों की मां ने उसे अभिभावक घोषित करते हुए बच्चों की कस्टडी देने की मांग की थी। खंडपीठ ने कहा कि माता-पिता के अलग रहने से बच्चे को मानसिक विकार हो सकता है। बच्चे को पिता का देखभाल होना भी बहुत जरूरी है। दोनों की देखभाल से ही बच्चे का भविष्य संवरेगा। याचिकाकर्ता मां भले ही अपने पिता के पास ज्यादा आराम से रह सकती है, लेकिन अमेरिका में रहने से बच्चे को माता-पिता दोनों का प्यार मिलेगा और बेहतर शिक्षा के साथ स्वास्थ्य की देखभाल हो सकेगी।
मां के दुलार की तरह पिता की निगरानी भी बच्चे के लिए बहुत जरूरी है। दोनों का प्यार व देखभाल मिलने से ही बच्चे का भविष्य संवरेगा। दोनों में से किसी एक का भी नहीं होना बच्चे के लिए ठीक नहीं है। न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी व न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने दो बच्चों की कस्टडी देने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया और फैमली कोर्ट के फैसले को कायम रखा। बच्चों की मां ने उसे अभिभावक घोषित करते हुए बच्चों की कस्टडी देने की मांग की...
खंडपीठ ने कहा कि माता-पिता के अलग रहने से बच्चे को मानसिक विकार हो सकता है। बच्चे को पिता का देखभाल होना भी बहुत जरूरी है। दोनों की देखभाल से ही बच्चे का भविष्य संवरेगा। याचिकाकर्ता मां भले ही अपने पिता के पास ज्यादा आराम से रह सकती है, लेकिन अमेरिका में रहने से बच्चे को माता-पिता दोनों का प्यार मिलेगा और बेहतर शिक्षा के साथ स्वास्थ्य की देखभाल हो सकेगी।
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