प्रदीप मैगज़ीन ने बताया,"महिला क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल ने फ़ैसला किया था कि महिला और पुरुष क्रिकेट जहां भी होता है उसे एक ही बोर्ड चलाएगा. इसी के तहत महिलाओं की एसोसिएशन को साल 2006 में बीसीसीआई में मिला दिया गया."
उन्होंने कहा,"जितने ज़्यादा टूर्नामेंट होते हैं खिलाड़ी ख़ुद को उतना टेस्ट कर पाता है. उसका अनुभव भी उतना बढ़ता है. विश्वकप और ऐसी ही विश्वस्तरीय प्रतियोगिताओं से आप ये जान पाते हैं कि आप प्रतिभा के स्तर पर दुनिया में कहां ठहरते हैं. अगर घर में ही खेलते रहेंगे तो पता ही नहीं चलेगा कि खिलाड़ी कॉलोनी के क्रिकेट में बेहतर है या देश के या विश्व के. सिरीज़ और विश्वकप के अलावा ये एक और मंच तैयार हो रहा है. खिलाड़ियों के पास अपनी प्रतिभा दिखाने का एक और मौक़ा है.
उन्होंने बताया कि 2010 के एशियन गेम्स में महिला क्रिकेट टीम को भेजने की बात हुई थी लेकिन तब पुरुषों की टीम किसी और सिरीज़ में व्यस्त थी. तब कहा गया था कि अगर जाएंगी तो दोनों टीम जाएंगी वरना कोई नहीं. आज अगर पुरुष टीम के न जाने के बावजूद भी महिला टीम को भेजा जा रहा है तो ये अपने आप में प्रगति है.लेकिन, सालभर हर तरह के क्रिकेट टूर्नामेंट खेलने वाली पुरुष क्रिकेट टीम को कॉमनवेल्थ खेलों से दूर क्यों रखा गया है.
India may pull out of CWG 2022...
aap na bajud, they can enjoy with up their confidence.
BBC B.. बेवकूफ B.. बकरी C.. chor तुझे नहीं पता ये न्यू इंडिया है और हमारी महिला किर्केट टीम दुनिया को धूल मे मिला रही है और भारत का नाम कर रही है..
Paisa ,rutba.aur medals . mostally ' ijjat '.jo gold medal lane walo ko milta hai.
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