मराठा आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की रोक, 50 फ़ीसदी की सीमा नहीं टूटेगी - BBC News हिंदी

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मराठा आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की रोक, 50 फ़ीसदी की सीमा नहीं टूटेगी

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सुप्रीम कोर्ट में पाँच जजों की संवैधानिक बेंच ने महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की वैधता की सुनवाई करते हुए कहा है कि आरक्षण की 50 फ़ीसदी की सीमा को नहीं तोड़ा जा सकता है. महाराष्ट्र सरकार ने अलग से क़ानून बनाकर मराठा समुदाय को शिक्षा और नौकरी में आरक्षण दिया था. जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पाँच जजों की संवैधानिक बेंच में जस्टिस एल नागेश्वर राव, एस अब्दुल नज़ीर, हेमंत गुप्ता और एस रविंद्र भट्ट ने पूरे मामले की सुनवाई की.

जस्टिस भूषण ने कहा कि इस मामले में चार फ़ैसले दिए गए हैं. एक फ़ैसला जस्टिस भूषण और जस्टिस नज़ीर का है. दूसरा फ़ैसला जस्टिस राव तीसरा जस्टिस भट्ट का है और चौथा जस्टिस गुप्ता का है. मराठा आरक्षण पर फ़ैसला सुनाते हुए जस्टिस भूषण ने कहा, ''हमलोगों ने पाया कि इंदिरा सहाय जजमेंट की समीक्षा की कोई वजह नहीं है. इंदिरा सहाय केस में जो फ़ैसला दिया गया था, उसका पालन किया जाए. अनुच्छेद 342-A का सम्मान करते हुए हम 102वें संविधान संशोधन को चुनौती दी जाने वाली याचिकाएं भी ख़ारिज करते हैं.'' इस संशोधन के तहत पिछड़े वर्गों के लिए राष्ट्रीय आयोग बनाया गया था.

 

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The law applies also to Modi government decision granting quota to economically weaker sections. Supreme Court should also decide this matter immediately.

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