भास्कर एक्सप्लेनर: कोरोना के नए वैरिएंट्स से बचना है तो डबल डोज लेना है जरूरी; रीइन्फेक्शन से भी बचाएगा दूसरा डोज

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भास्कर एक्सप्लेनर: कोरोना के नए वैरिएंट्स से बचना है तो डबल डोज लेना है जरूरी; रीइन्फेक्शन से भी बचाएगा दूसरा डोज friendjaidev coronapandemic MoHFW_INDIA

कोरोना की दूसरी लहर कमजोर पड़ गई है। रोज आने वाले केस 40 हजार के आसपास आ चुके हैं। जून से वैक्सीनेशन ने भी रफ्तार पकड़ी है, लेकिन अब भी कई ऐसे लोग हैं जो केस कम होते ही वैक्सीनेशन से बच रहे हैं। वहीं कई लोग ऐसे हैं जो वैक्सीन की एक डोज लगवाने के बाद ही पूरी तरह लापरवाही बरत रहे हैं।

इन सभी सवालों पर हमने महामारी विशेषज्ञ डॉक्टर चंद्रकांत लहारिया से बात की। आइए उनसे ही जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब...दूसरी लहर में हमने कोरोना की भयावहता को देखा। इसमें पता चला कि ये महामारी कितनी घातक हो सकती है इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है, लेकिन इसके साथ ही इसने हमें तीसरी लहर से निपटने के बेहतर तरीके भी बताए।

जिन लोगों को संक्रमण हो चुका है उनके लिए एक डोज काफी होता है, लेकिन ये बात अलग-अलग लोगों के इम्यून सिस्टम पर भी निर्भर करती है। उदाहरण के लिए जिन लोगों को वैक्सीन के दोनों डोज लग जाते हैं वो भी 80% तक ही प्रोटेक्टेड होते हैं। यानी 20% संक्रमण का खतरा उन्हें भी होता है। हम ये गारंटी नहीं ले सकते हैं कि दोनों डोज लग गए हैं तो उन्हें कोरोना नहीं होगा। और अगर नए वैरिएंट की वजह से कोरोना होता है तो उसके बारे में कोई कुछ नहीं कह सकता है।आपको कोरोना हो चुका हो और आपने दोनों डोज लगवा लिए हैं। उसके बाद...

अभी इस बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है। कुछ नए एविडेंस आ रहे हैं। खासतौर पर mRNA बेस्ड वैक्सीन में। उसमें ये सामने आया है कि इम्यूनिटी और लंबे समय तक रह सकती है। जो लोग पिछले साल अप्रैल में क्लिनिकल ट्रायल में शामिल थे। उनमें अभी भी प्रोटेक्शन बरकार था। ऐसे में हो सकता है कि बूस्टर डोज दो साल में एक बार देना पड़े, हो सकता है कि एक साल में देना पड़े, लेकिन अभी इस बारे में कुछ कहना मुश्किल है।

ब्रिटेन ने मई में कोवीशील्ड की दो डोज के बीच गैप कम करना शुरू किया, लेकिन तब तक उनकी 50% से ज्यादा आबादी को एक डोज लग चुका था। इसमें भी पहले 50 साल से ज्यादा वालों के लिए ऐसा किया गया। ज्यादा आबादी को सिंगल डोज कवरेज होने के बाद ऐसा किया जा सकता है।

 

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