भास्कर एक्सप्लेनर: वैक्सीनेशन शुरू होने के 10 दिन बाद भी उत्साह कम ही, 36 लाख वैक्सीनेशन होने थे, हुए सिर्फ 19.50 लाख; जानिए क्यों?

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भास्कर एक्सप्लेनर: वैक्सीनेशन शुरू होने के 10 दिन बाद भी उत्साह कम ही, 36 लाख वैक्सीनेशन होने थे, हुए सिर्फ 19.50 लाख; जानिए क्यों? coronavaccination CoronaUpdatesOnBhaskar Covid19 AshwiniKChoubey drharshvardhan MoHFW_INDIA PMOIndia

Why People Are Not Showing Enthusiasm Even After Vaccination Starts; 36 Lakh Vaccination To Be Done In 10 Days, Only 19.50 Lakhsवैक्सीनेशन शुरू होने के 10 दिन बाद भी उत्साह कम ही, 36 लाख वैक्सीनेशन होने थे, हुए सिर्फ 19.

कोवीशील्ड वैक्सीन की शीशी के साथ दिक्कत यह है कि उसे खुला नहीं छोड़ सकते। शीशी खोलने के चार घंटे के भीतर उसका इस्तेमाल करना होता है। ऐसे में ज्यादा लोग न आने से वैक्सीन के डोज भी बर्बाद हो रहे हैं। कुछ राज्यों ने तो स्पॉट रजिस्ट्रेशन कर वैक्सीन लगाने का तरीका अपनाया है ताकि वैक्सीन की बर्बादी रुक सके। पर यह कोई स्थायी हल नहीं हो सकता। खासकर जब अगले चरण में और अधिक लोगों को वैक्सीन लगने वाली है।भारत सरकार ने सबसे पहले एक करोड़ हेल्थकेयर वर्कर्स और दो करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीनेट करने की...

वैक्सीन पर संदेह पहली बार सामने नहीं आया है। जब भी कोई वैक्सीन प्रोग्राम आया है, उसे किसी न किसी तरह की अफवाहों का सामना करना पड़ा है। पोलियो वैक्सीन को लेकर अफवाह थी कि यह बच्चों में फर्टिलिटी को प्रभावित करेगी। यह भी अफवाह थी कि ओरल पोलियो वैक्सीन में सुअर की चर्बी का इस्तेमाल किया है। इस पर तो विश्व स्वास्थ्य संगठन को यह सफाई देनी पड़ी थी कि वैक्सीन में सुअर या उससे निकाले किसी पदार्थ का इस्तेमाल नहीं हुआ है। तब जाकर लोगों ने वैक्सीन लगवाने की तैयारी दिखाई। अब भी कई लोग ऐसे हैं जो वैक्सीन पर...

दुनियाभर में अफवाहें हैं कि कुछ वैक्सीन डीएनए में भी बदलाव कर सकते हैं। खासकर यह बात फाइजर और मॉडर्ना की mRNA तकनीक से बनी वैक्सीन के लिए कही जा रही है। सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि भारत में डॉक्टर बिरादरी में ही वैक्सीन पर विश्वास नहीं बन पा रहा। वैक्सीन को अप्रूवल मिलने में आम तौर पर 8-9 साल लग जाते हैं। कोरोना वैक्सीन एक साल से भी कम समय में आई है, इस वजह से डॉक्टरों को जल्द आए वैक्सीन पर भरोसा कम है।पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ.

कुछ अन्य हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि एकेडेमिक्स को ट्रायल्स से सामने आए डेटा देना चाहिए। इससे वे नतीजों को डीकोड करेंगे और पारदर्शिता आएगी। इफेक्टिव सूचना, एजुकेशन और कम्यूनिकेशन स्ट्रैटजी के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय काम कर रही है। वैक्सीन को लेकर जागरुकता बढ़ाने डॉक्टरों, फिल्म और क्रिकेट सेलिब्रिटी की मदद लेने की योजना है। देश का राजनीतिक नेतृत्व भी दूसरे चरण में वैक्सीन लगवा रहा है, इससे लोगों में कहीं न कहीं विश्वास तो जागेगा ही।टाटा स्टील समेत कई बड़ी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों के लिए...

 

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