वे अलग-अलग दफ्तरों और दूतावासों के चक्कर काट रहे हैं। उनके सामने दोहरी चुनौती है। एक तो अफगानिस्तान के हालात बेहद खराब हैं, उनका वहां जाना मुनासिब नहीं है। दूसरी तरफ भारत में उन्हें नागरिकता मिलने की उम्मीद नहीं। वे मानकर चल रहे हैं कि ऐसे में भारत में रह रहे 21 हजार से ज्यादा अफगान शरणार्थियों के सामने संकट खड़ा हो जाएगा।
बीते हफ्ते सैकड़ों की संख्या में अफगानियों ने दिल्ली स्थित संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग दफ्तर के सामने प्रदर्शन किया और ‘रिफ्यूजी कार्ड’ की मांग की, ताकि उन्हें दूसरे देशों की नागरिकता मिल सके। इस प्रदर्शन में काबुल की रहने वाली बेहिश्ता भी शामिल हुईं, जो पांच साल से भारत में रह रही हैं। महज सात साल की उम्र में उन्हें अपना मुल्क छोड़कर अम्मी-अब्बा के साथ भारत आना पड़ा था।
फिलहाल वे दिल्ली की अफगान बस्ती में रहती हैं। उनके पिता की कबाड़ी की दुकान है। यूएनएचसीआर दफ्तर के सामने बेहिश्ता अफगानिस्तान का झंडा लिए नारा लगा रही हैं- हमें भविष्य चाहिए, हमें जीवन चाहिए। बेहिश्ता और उनके जैसे कई बच्चे हैं, जिनका स्कूलों में दाखिला नहीं हो पा रहा, क्योंकि उनके पास रिफ्यूजी कार्ड नहीं है। अफगानिस्तान लौटने के सवाल पर वे कहती हैं कि वहां हालात बहुत खराब हैं। हम लड़कियों पर बहुत जुल्म हुए हैं, लेकिन हमें भारत से उम्मीद है। वे कहती हैं कि अगर हमें यहां रिफ्यूजी कार्ड नहीं मिल...
अफगान रिफ्यूजी संगठन के भारत के प्रमुख अहमद जिया गनी के मुताबिक, भारत में करीब 21 हजार अफगानी शरणार्थी रहते हैं। इनमें से ज्यादातर दिल्ली में ही रहते हैं। दिल्ली के अलावा हैदराबाद और पुणे में भी इनकी अच्छी तादाद है। इन 21 हजार शरणार्थियों में से सिर्फ सात हजार लोगों के पास यूएनएचसीआर का रिफ्यूजी कार्ड है। बाकी के लोगों के पास सिर्फ ‘ब्लू कार्ड’ है, जिसकी कोई अहमियत नहीं है। वे कहते हैं, ‘अभी हमारी पहली जरूरत ये है कि भारत सरकार हमारे लिए स्टे वीजा जारी करे और इसकी समय सीमा बढ़ाए। हमें उम्मीद थी...
कई देश रिफ्यूजियों को अपनी नागरिकता देते हैं, लेकिन उसके लिए यूएनएचसीआर के समर्थन पत्र की जरूरत होती है, जिसकी हम मांग कर रहे हैं।’ ‘ह्यूमेनेटेरियन ऐड इंटरनेशनल’ के प्रमुख सुधांशु शेखर सिंह के मुताबिक, सभी अफगानी शरणार्थियों को यूएनएचसीआर का कार्ड नहीं मिला है। जिनको कार्ड मिला भी है, उन्हें भी बतौर शरणार्थी ज्यादा सुविधाएं नहीं मिल पाई हैं। कई अफगानी शरणार्थियों को नौकरी और काम पाने की इजाजत नहीं है। इसलिए इनका शोषण हो रहा है। वे कहते हैं, भारत में नया नागरिकता कानून लागू होने की स्थिति में...
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