भारतीय सेना ने ड्रैगन के तेवर भांपते हुए LAC के पास नदी पर सिर्फ 72 घंटों में बना दिया पुल IndiaChinaFaceOff LAC Ladakh
अब सेना के पास ऐसे आधुनिक वाहन भी हैं जिन पर रेडीमेड पुल होता है। फोल्ड किया गया यह पुल एक बटन दबाने पर पुल की तरह तैयार हो जाता है और नदी नालों से सेना के वाहनों को गुजार देते हैं।
पूर्वी लद्दाख में पिछले वर्ष जब चीन ने गुस्ताखी दिखाई और भारतीय सेना ने ड्रैगन के तेवर भांपते हुए युद्धस्तर पर तैयारी आरंभ कर दी। सेना के इंजीनियरों ने हालात को भांपते हुए नियंत्रण रेखा के करीब श्योक नदी पर 72 घंटे में 60 मीटर लंबे पुल का निर्माण कर दिया और अग्रिम मोर्चे पर सेना के वाहन और साजोसामान तीव्र गति से पहुंचने लगे। दुश्मनों के लिए विध्वंसकारी जवानों के हाथ बहुत करीने से निर्माण भी कर सकते हैं।
60 घंटे में 120 फीट लंबा पुल:कश्मीर की लाइफलाइन जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर रामबन के पास एक हिस्सा ढहने से हाईवे बंद हो गया। कश्मीर को राशन, पेट्रोल-डीजल समेत तमाम आपूर्ति प्रभावित होने की आशंका बन गई। हाईवे अथॉरिटी की टीम ने हाथ खड़े कर दिए और निर्माण पूरा करने के लिए कम से कम 20 दिन का समय मांगा। ऐसे में सेना के इंजीनियर जुटे और 60 घंटे में 120 फीट लंबे वैकल्पिक बैली पुल का निर्माण कर दिया। उसके बाद से कश्मीर को तमाम आपूíत सुचारू हो चुकी है और फंसे यात्रियों को भी निकाला जा चुका है।
हश बटन दबाते ही खुलकर बन जाता है पुल। फाइल फोटो40 दिन में 260 फीट लंबा सस्पेंशन ब्रिज:इसी तरह पिछले वर्ष लद्दाख में 260 फीट लंबा सस्पेंशन ब्रिज 40 दिन में बना दिया था। यह हमारे सेना के इंजीनियरों की करामात है कि वह हर संकट का हल चुटकियों में खोज निकालते हैं। युद्ध व आपात स्थिति में वे सेना की राह को आसान बनाते ही हैं। आम लोगों के लिए भी मददगार बन खड़े हो जाते हैं। headtopics.com
यह भी पढ़ेंनाव से बना देते हैं पौंटून पुल:सेना के बढ़ते कदम रास्ते में आने वाले नदी, नालों के कारण न रुके, इसके लिए सेना के कांबेट इंजीनियर चंद घंटों में नावों का पुल बनाकर अपने टैंक और बड़े वाहनों को आसानी से गुजार देते हैं। कई बार जब बाढ़ के कारण दरियाओं, नदियों पर बने पुल बह जाते हैं तो आम जनजीवन को सुचारू रखने के लिए सेना की इंजीनियरिंग रेजीमेंट नावों का पुल बनाकर लोगों को राहत देती है। नदी पर सेना द्वारा नावों के पुल को पौंटून पुल कहा जाता है।
यह भी पढ़ेंबंकर से लेकर हेलीपेड तक बनाते हैं :सेना की इंजीनियरिंग रेजीमेंट युद्ध्, सैन्य अभियानों की कामयाबी के लिए बिना समय गंवाए हेलीपेड से लेकर बंकर तक बनाने की योग्यता रखती है। सेना आगे बढ़ती रहे, इसके लिए सेना के इंजीनियर रास्ते में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करते जाते हैं। चंद घंटों में सेना की आधुनिक मशीनें पहाड़ी इलाकों में जमीन को समतल कर वहां पर सेना, वायुसेना के हेलीकॉप्टर उतारने के लिए हेलीपेड बना देती हैं। हेलीपैड बनने पर सेना जवानों व हथियारों को तेजी से मौके पर पहुंचाकर दुश्मन के मंसूबों को नाकाम बनाती है। इसके साथ इंजीनियरिंग रेजीमेंट जवानों के लिए बिजली, पानी जैसी सुविधाओं का भी बंदोबस्त करती है।
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'विरासत' पर वोटयुद्ध! क्या महापुरुषों के सहारे बंगाल जीतने की तैयारी में BJP-TMC?
बंगाल की सियासत महापुरुषों के इर्द गिर्द घूम रही है, बंगाल में महापुरुषों पर हक जताने की कोशिशें हो रही हैं, बीजेपी आरोप लगा रही है कि महापुरुषों के आदर्शों को टीएमसी संभाल नहीं सकी, महापुरुषों की विरासत को टीएमसी ने अनदेखा किया, तो टीएमसी कह रही है कि जो बंगाल के महापुरुषों को नहीं जानते, बंगाल की संस्कृति को नहीं जानते, वो बंगाल में महापुरुषों की बात करके चुनावी स्टंट दिखा रहे हैं. देखें शंखनाद.