भारतीय संसद के लिए इस बार खास क्यों है शीतकालीन सत्र | DW | 18.11.2019

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राज्य सभा का पहला सत्र 13 मई 1952 को हुआ था और तब से लेकर आज तक ये सदन भारत के संघीय संवैधानिक ढांचे को संभाले रखने में अपनी भूमिका निभाता आया है. NarendraModi RajyaSabha ManmohanSingh ParliamentSession ParliamentWinterSession

राज्य सभा का पहला सत्र 13 मई 1952 को हुआ था और तब से लेकर आज तक ये सदन भारत के संघीय संवैधानिक ढांचे को संभाले रखने में अपनी भूमिका निभाता आया है.

इस मौके पर राज्य सभा में भारतीय शासन व्यवस्था में राज्य सभा की भूमिका पर विशेष चर्चा भी हुई. इसमें हिस्से लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शब्दों को दोहराते हुए कहा कि राज्य सभा भले ही दूसरा सदन हो पर ये द्वितीय सदन कतई नहीं है. उन्होंने कहा कि निचला सदन अगर जमीन से जुड़ा हुआ है तो ऊपरी सदन दूर तक देख सकता है.

महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम की वजह से इस सत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव भी देखने को मिलेगा. शिव सेना जो पिछले सत्र तक सत्तारूढ़ एनडीए का हिस्सा थी, इस सत्र में विपक्ष के स्थान पर बैठेगी. महाराष्ट्र विधान सभा चुनावों के नतीजे आने के बाद सरकार बनाने की खींच-तान में सेना ने बीजेपी से मुंह मोड़ लिया और एनडीए को छोड़ दिया है.

राज्यों का प्रतिनिधित्व देने के उद्देश्य से लोक सभा के संगठन और सदस्यों के चुनाव के तरीके से एकदम भिन्न ऊपरी सदन राज्य सभा का गठन हुआ. तय हुआ कि यह संख्या में लोक सभा से छोटा होगा और इसके सदस्यों का चुनाव सीधे आम मतदाता नहीं बल्कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधान सभा के सदस्य करेंगे.

 

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