स्कूली शिक्षा को मजूबत बनाने के बड़े-बड़े दावे तो हो रहे हैं, लेकिन बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में बड़ी संख्या में ऐसे सरकारी स्कूल है, जिसमें पढ़ाने के लिए पर्याप्त शिक्षक ही नहीं है। बिहार में यह स्थिति कुछ ज्यादा ही खराब है, जहां सबसे ज्यादा करीब 68 फीसद ऐसे प्राथमिक स्कूल है, जिसमें आरटीई के तय मानक के मुताबिक शिक्षक नहीं है। झारखंड में ऐसे प्राथमिक स्कूलों की संख्या पचास फीसद और उत्तर प्रदेश में 41 फीसद...
उच्चतर प्राथमिक सरकारी स्कूलों में यह आंकड़ा और भी बढ जाता है। बिहार में ऐसे करीब 78 फीसद स्कूल है, जबकि झारखंड में 64 फीसदी और उत्तर प्रदेश में 42 फीसद ऐसे स्कूल है। स्कूली शिक्षा की इस बदहाली का खुलासा हाल ही में संसद को दी गई एक जानकारी में सामने आया है। जिसमें बताया गया है कि देश में बड़ी संख्या में ऐसे स्कूल हैं। यह स्थिति तब है, जब स्कूली शिक्षा को मजबूत बनाने के लिए केंद्र की ओर से राज्यों को हर साल मदद दी जाती है।
इन राज्यों को उनकी जरूरत के मुताबिक हर साल दस करोड़ से चालीस करोड़ रुपये तक मिलता रहा है। इनमें आरटीई के नियमों के तहत छात्र-शिक्षक अनुपात को भी पूरा करने के लिए पैसा दिया जाता है। इसके साथ ही राज्यों को समय-समय पर शिक्षकों के खाली पदों को भरने के लिए दिशा-निर्देश दिए जाते है। रिपोर्ट में देश के जिन अन्य राज्यों के स्कूलों में शिक्षकों की कमी है, उनमें राजस्थान, अरुणाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड आदि राज्य भी शामिल है। इनमें राज्यों में आरटीई के तय मानक के तहत करीब 25 फीसद से ज्यादा स्कूलों में शिक्षक नहीं है।शिक्षा के अधिकार के तहत सरकारी स्कूलों में छात्र और शिक्षक के बीच एक अनुपात तय किया गया है। इसके तहत प्राथमिक स्कूलों में प्रत्येक तीस छात्र पर एक शिक्षक का मानक तय किया गया है, जबकि उच्चतर प्राथमिक स्तर पर यह अनुपात 35 छात्र पर एक शिक्षक का रखा गया है। इसके...
सारे प्रदेशो की सरकारें और पब्लिक स्कूलों की लॉबी के साथ साथ ,शिक्षा महकमे से जुड़े अधिकारी व शिक्षा मफ़िया.... इन सबने एक सुनियोजित गठजोड़ के चलते सरकारी स्कूलों का नाश कर दिया और स्कूलों के नाम पर दलाली और राजनीति कर रहे है।
सिर्फ शब्दों प्रतिबद्धता दिखाइए CM YogiAdityanath जी। सरकारी स्कूलों में शिक्षक की कमी है तो बच्चे ही कहाँ है! हिसाब बराबर चल रहा है अभी।
बिहार के सुशासन बाबू ने शिक्षा का सत्यानाश कर दिया । शिक्षक का पद समाप्त करके बिहार के बच्चो को शिक्षामित्र दिया जो विधानसभा के गेट उखाङ रहे है । गरीब के बच्चे को अच्छा शिक्षक नही मिलना चाहिए वर्ना नीतीश कुमार के गद्दी उखङ जाएगा ।
अरे नीतीश के दलाल अखबार बिहार मे शिक्षामित्र है जिसका नाम 2006 मे बदलकर नियोजित शिक्षक किया गया इसलिए बिहार मे शिक्षक है ही नही । फिर भी तुमलोग इसको नही लिखते क्योंकि एक चचा को राज्यसभा तुम्हारे यहा से भेजा गया है ।
PrakashJavdekar PMOIndia
सभी ग्रैजुएट महिला और पुरुष को पहले 5 साल स्कूलों और कालेजों में पढ़ाई का कार्य करना आवश्यक बना दिया जाए
दस हजार रुपये प्रति महीने में पढ़ाने वाले शिक्षक (प्राइवेट कोचिग में पढ़ाने वाले) मिल जायेंगे तो उन्हें भर्ती करें पुराने शिक्षकों की सैलरी क्यों बढ़ाते हैं क्या वे नौकरी छोड़कर भाग रहे हैं?
Right sir
शासकीय स्कूल चौपट होगें तभी तो प्राइवेट स्कूलों का उत्थान होगा?
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