पति से तलाक नहीं लिया है इसलिए यह निकाह अवैध है। मुस्लिम कानून के अनुसार केवल लड़के को ही बिना तलाक दूसरे निकाह का अधिकार है लड़की को नहीं।
याची के वकील ने कहा कि जोड़ा मुस्लिम है और ऐसे में बिना तलाक लिए दूसरा निकाह कर सकते हैं। हाईकोर्ट ने इस दलील पर असहमति जताते हुए कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत और मुस्लिम विवाह अधिनियम 1939 के अनुसार केवल पुरुष को ही बिना तलाक दूसरे निकाह का अधिकार है। पति से तलाक नहीं लिया है इसलिए यह निकाह अवैध है। मुस्लिम कानून के अनुसार केवल लड़के को ही बिना तलाक दूसरे निकाह का अधिकार है लड़की को नहीं।मेवात के एक मुस्लिम प्रेमी जोड़े ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए सुरक्षा की गुहार लगाई थी। प्रेमी जोड़े ने हाईकोर्ट को बताया कि दोनों पहले से ही विवाहित हैं लेकिन वह अपने पूर्व के साथियों के साथ नहीं रहना चाहते। उनसे अलग होकर दोनों ने निकाह कर लिया है और अब दोनों के घर वाले उनकी जान के दुश्मन बने...
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न्यायपालिका कब से तुष्टिकरण करने लगी?
सारे अधिकार सिर्फ इन्हीं लोगो को हैं, आक थू ऐसे कनू को
हाई कोर्ट कहते हुए भी यह जज सबसे बड़ा मूर्ख है क्योंकि ईश्वर ने लड़का लड़की एक ही मशीन से पैदा किए हैं। उनके लिए सांसारिक नियम अलग नहीं हो सकते। लड़की अधिक संवेदनशील और सहनशील होती है इसलिए वह घमंडी पुरुष के दबाव में गलत निर्णय सहन करती है।
सहि बात कही लड़की को एड्स ना हो जाए दो मर्दों के एक ही खाई में स्पर्म जाने से।
Chuslam means equality
Jai ho vaami raaj me jihadi me Lord..
लड़का लड़की कोर्ट को बराबर होने थे !
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