इस लेख में आगे लिखा गया है कि 'यह बहुत लंबे समय से चल रहा है और सांप्रदायिक हिंसा से निपटने के मामले में जो हमने अब तक किया है, वो वापस हर साल हमारे सामने आ जाता है. जिन्होंने ये हमले किए उनकी पहचान की जाए और उन्हें गिरफ़्तार किया जाए. इसके साथ ही इसको पहली बार जिसने भड़काया उन्हें भी पकड़ा जाए और केवल यही काफ़ी नहीं है.'
"बांग्लादेश तरक़्क़ी कर रहा है और हम विकासशील दुनिया के लिए एक नमूना हैं. लेकिन क्या हम इस बात को लेकर गंभीर हैं कि किसी भी पृष्ठभूमि का व्यक्ति इस राष्ट्र में सुरक्षित महसूस करेगा, क्या हम वास्तव में विकास कर पाएंगे. इस स्तर पर बांग्लादेश एक ऐसा देश लग रहा है, जिसमें अल्पसंख्यकों के लिए कोई जगह नहीं है जबकि हमारे देश की नींव धर्मनिरपेक्षता की बुनियाद पर रखी गई है.
"जिस तरह से हिंदू समुदायों के साथ उनके सबसे बड़े त्योहार के दौरान बर्बरता, यातना, संघर्ष और हत्या हुई है, उसने साबित किया है कि बांग्लादेश एक राष्ट्र होने के नाते नागरिकों के बुनियादी मानवाधिकार पूरा करने में नाकाम रहा है.""सांप्रदायिक हिंसा और धार्मिक असहिष्णुता लापरवाही या अदूरदर्शिता का नतीजा है, जिसको बांग्लादेश का संविधान अनुमति नहीं देता है. धर्मनिरपेक्षता और धार्मिक स्वतंत्रता बांग्लादेश के संविधान के चार बुनियादी ढांचों का हिस्सा है.
इसमें लिखा गया है कि बांग्लादेश में एक समुदाय के ख़िलाफ़ 'इस्लाम का अपमान' करने का आरोप लगाते हुए हिंसा के मामले लगातार बढ़ रहे हैं.
बांग्लादेश की मीडिया में इतनी हिम्मत तो है कि वे अपने यहां अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों पर विरोध में लेख प्रकाशित कर रहे है तथा सरकार से सवाल पूछ रहे है। भारत में तो ये हिम्मत तो मुख्यधारा के मीडिया में बचा ही नहीं है। 🙏🙏🙏🙏🙏
भारत के मीडिया कौनसे दूध के धुले है या कम बिकाऊ है जो बांग्लादेश के मीडिया को कोस रहे हो 😏 शायद यहाँ के मीडिया से ही उन लोगो ने सिखा होगा😏😋 anjanaomkashyap SwetaSinghAT
अमानवों का देश बंगलादेश।
GHAR MAIN JAB AAG LAGI , TAB HASINA KO AKLA AAI KI.' CAA ' KYUN LAGU KIYA GAYA THA ?
बांग्लादेश की सरकार वही कर रही है जो 1984 के सिख विरोधी दंगों में कांग्रेस की सरकार , 2002 के गुजरात दंगों में भाजपा की नरेन्द्र मोदी सरकार और 2020 में दिल्ली दंगों में भाजपा की केंद्रीय सरकार ने किया । बांग्लादेश के अखबार सजग हैं और भारत की मिडिया साष्टांग दंडवत की मुद्रा में...
दुनिया में हिन्दीयों पर ही अत्याचार क्यों जबकि दुनिया में सबसे शरीफ कौम?
बांग्लादेश में कट्टरता को सख्ती से दबाना चाहिए। उसी तरह से भारत में भी चाहे मुसलमान हो या हिंदू। शासन कानून का हो। कट्टरतावादी ताकतों का नहीं।
Bangladesh deprived of the definition of SECULARISM. Government of Bangladesh could not protect non-Muslims.
Bbc please publish this news too.
kam se kam Bangladesh ki media mei satta se sawal puchne ki himmat to haii....👇
आदरणीय डॉ एस जयशंकर जी विदेश मंत्री भारत सरकार ने हमारे हिंदू मंदिर वह हिंदुओं पर हो रहे हमले के बारे में श्रीलंका सरकार से बात करनी चाहिए
Muslim islam ke naam par ek ho jata hai par Hindu hindutva ke naam par kabhi ek nahi hua is wajah se har ek majhab wala hindu par julam karta hai aur fir khud ko Alap sankhayak bta kar Rota bhi hai
Bangladesh Police arrest 450 over religious unrest. PM directs home minister to take strict action against those responsible. The ruling party, holds march supporting Hindus.
Such a thing which is unusual and unacceptable for the Bangladesh society against minority. while the same thing is a common and accepted for the majority society in India.
अमेरिका और सन्युक्तराष्ट्र ने जो निंदा करदी है उससे भारत के हिन्दुओ की जुम्मेवारी लगभग खत्म हो गई,अभी चाहे कितने भी मंदिर तोड़े जाये,कितनी ही औरतें बेआबरू होती रहे,कितने ही लोग जलील करके मारते रहो,हिन्दुओ को लगता है मुनाफकत लोग बहुत ही ईमान वाली कोम से है निंदा करने से मान जाएँगे
क्या भारत में चुनाव आते ही दुनिया भर में हिंदुओं और हिन्दू मंदिरों पर हमले शुरू हो जाते हैं हिन्दू मुस्लिम के बीच तनाव पैदा हो जाता है और इन सब घटनाओं का फ़ायदा चुनावों में BJP को मिलता है..
Let UP election finish, things will be normal in BD and J&K. Till bear
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