प्रवासी मजदूरों के मसले पर 20 वकीलों ने SC को चिट्ठी लिखकर की थी आलोचना

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कोर्ट ने केंद्र सरकार व सभी राज्यों को नोटिस जारी कर इस पर गुरुवार तक जवाब देने का आदेश दिया है | AneeshaMathur

इस खत को सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम के अलावा आनंद ग्रोवर, इंदिरा जयसिंह, मोहन कातार्की, सिद्धार्थ लूथरा, संतोष पॉल, कपिल सिब्बल, चंदर उदय सिंह, विकास सिंह और प्रशांत भूषण ने लिखा था. इसके अलावा बॉम्बे हाई कोर्ट के वकीलों की ओर से भी खत लिखा गया था.

वकीलों ने खत में लिखा, 'मार्च में लाखों प्रवासी श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करने में सुप्रीम कोर्ट विफल रहा और अधिकारियों की कार्यवाहियों की निगरानी में कोर्ट विफल, जिसके परिणामस्वरूप मजदूरों को रोजगार और मजदूरी के बिना तंग आवास में रहने के लिए मजबूर होना पड़ा.' वकीलों ने अपने खत में लिखा, 'मजदूरों को अक्सर बिना उचित भोजन के अपना जीवन यापन करना पड़ा, जो कि कोरोना संक्रमण के दौरान सबसे अधिक जोखिम भरा कदम है. ऐसे में गरीब वर्गों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ.' वकीलों ने अपने खत में मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की निगरानी में विफलता के लिए सुप्रीम कोर्ट की भी आलोचना की.

आगे वकीलों ने कहा, 'माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मई के मध्य में हस्तक्षेप करने की विफलता के कारण इस स्थिति को जटिल बना दिया गया था, जब लाखों प्रवासी श्रमिकों ने पैदल या ट्रकों द्वारा घर की यात्रा शुरू की थी.' गौरतलब है कि मंगलवार को जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने मीडिया में आ रही खबरों और मजदूरों की बदहाली पर सुप्रीम कोर्ट को लगातार मिल रही चिट्ठियों के आधार पर मामले का संज्ञान लिया है. कोर्ट ने केंद्र सरकार व सभी राज्यों को नोटिस जारी कर इस पर गुरुवार तक जवाब देने का आदेश दिया है.

 

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AneeshaMathur Supreme court se koi bhi ummed bejar hai, ye sirf bade aadmeo ka saath deta hai.

AneeshaMathur Good.

AneeshaMathur

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