2021-22 के बजट में सरकारी बैंकों के लिए इस पूंजी का प्रावधान किया गया था। जनवरी-मार्च तिमाही में जरूरत के हिसाब से 12 सरकारी बैंकों को राशि दी जाएगी।
वित्त मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि चालू वित्तवर्ष की आखिरी तिमाही में सभी बैंकों की समीक्षा के आधार पर राशि का आवंटन किया जाएगा। महामारी के दबाव में भी इस साल सभी सरकारी बैंकों ने मुनाफा दर्ज किया है, जिससे बैंकों की बैलेंस शीट में एक बार फिर से मजबूती आ रही है। हालांकि, आने वाली तिमाहियों में संकटग्रस्त पूंजी में इजाफा होगा जिसके लिए और पूंजी की जरूरत पड़ेगी। फिलहाल सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को छोड़कर सभी सरकारी बैंक आरबीआई की त्वरित सुधार कार्रवाई ढांचे से बाहर आ चुके हैं। सितंबर में ही आरबीआई ने यूको बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक को पीसीए ढांचे से बाहर किया था।सरकार ने बैंकों की स्थिति सुधारने के लिए पिछले वित्तवर्ष में भी पांच सरकारी बैंकों में 20 हजार करोड़ की पूंजी डाली थी। इसमें से 11,500 करोड़ तो सिर्फ यूको बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक...
हालांकि, आने वाली तिमाहियों में संकटग्रस्त पूंजी में इजाफा होगा जिसके लिए और पूंजी की जरूरत पड़ेगी। फिलहाल सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को छोड़कर सभी सरकारी बैंक आरबीआई की त्वरित सुधार कार्रवाई ढांचे से बाहर आ चुके हैं। सितंबर में ही आरबीआई ने यूको बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक को पीसीए ढांचे से बाहर किया था।सरकार ने बैंकों की स्थिति सुधारने के लिए पिछले वित्तवर्ष में भी पांच सरकारी बैंकों में 20 हजार करोड़ की पूंजी डाली थी। इसमें से 11,500 करोड़ तो सिर्फ यूको बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक...
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