इसका मतलब यह भी हो सकता है कि अगर आप मानवीय मदद भी अफ़ग़ानिस्तान में भेजते हैं तो वहाँ की नई सच्चाई को ज़हन में रखना होगा. मॉस्को फ़ॉर्मैट के बयान में यह भी कहा गया है कि अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की सरकार को शासन व्यवस्था में सुधार के लिए क़दम उठाने होंगे ताकि एक समावेशी सरकार बनाई जा सके. समावेशी सरकार से मतलब है कि अफ़ग़ानिस्तान में सभी समुदायों को सत्ता में प्रतिनिधित्व मिले. अभी तालिबान की अंतरिम सरकार में पश्तून सुन्नी मुसलमान हावी हैं.
इस बैठक में अमेरिका ने शामिल होने से इनकार कर दिया था. जबकि भारत को रूस ने पहली बार इस तरह की बैठक में बुलाया था. इससे पहले रूस ने अफ़ग़ानिस्तान मामले में वार्ता के लिए ट्रॉइक प्लस में भारत को शामिल करने से इनकार कर दिया था. दूसरी तरफ़ भारत ये भी चाहता है कि अफ़ग़ानिस्तान को लेकर जितने भी समूह बने या वार्ता हो उसमें वो भी शामिल रहे. इसे लेकर भी कन्फ्यूजन है कि मॉस्को फॉर्मैट का बयान साझा है या केवल मेज़बान रूस का है.भारत को लेकर तालिबान के एक सीनियर नेता ने दावा किया था कि भारत अफ़ग़ानिस्तान में खाद्य सामग्री भेजने के लिए तैयार है. भारत ने तालिबान के इस दावे को भी ख़ारिज नहीं किया है.
WFP अफ़ग़ानिस्तान के निदेशक मैरी-एलेन मैकग्रोआर्टी ने कहा था, "पिछले कुछ हफ़्तों से इसे लेकर वार्ता चल रही है. हमें उम्मीद है कि कोई अच्छे निष्कर्ष पर पहुँचेंगे. अफ़ग़ानिस्तान में इस साल 25 लाख टन गेहूँ कम हुआ है. ऐसे में हमें मदद की सख़्त ज़रूरत है."
कौन क्या समझे .. कौन क्या कहें.. बात से विवाद में.. कौन कितना जंचे🧬
दंगों से निपटने के तरीके को लेकर बंगलादेश की तारीफ हो रही है लोग कह रहे हैं कि भारत को उनसे सीखना चाहिए अरे भाई , बंगलादेश को तरक्की करना है आगे बढ़ना है और भारत की मिसाल उस लकड़हारे की तरह है जो जंगल में पहुंच गया हो और ढेर सारी लकड़ियां देख कर खुश हो गया.......
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