हुए एक साल से ज्यादा वक़्त बीत चुका था. अब उसे जरूरत थी एक नए कौमी तराने की. वो दिसंबर 1948 की तारीख थी. इस दिन पाकिस्तानी हुकूमत ने सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सरदार अब्दुल रिफ़त की अध्यक्षता में 'कौमी तराना' कमेटी का गठन किया गया. उस कमेटी का काम था कौमी तराने में शामिल होने वाली शायरी और धुन चुनना . इस कमेटी के सामने दुनिया के मुख़्तलिफ़ हिस्सों से शायरियों और धुनों का प्रदर्शन किया. पर उनमें से कौमी तराने के लिए कोई भी तराना और मौसिकी को पसंद नहीं किया गया.
कौमी तराने वाली कमेटी में धुन के चयन करने के काम को देख रहे थे अहमद गुलाम छागला. हर रोज उनके पास दस से ज्यादा धुन आती थीं. पर कोई भी धुन उन्हें और कमेटी मेंबर्स के गले नहीं उतरती. छागला ख़ुद भी एक अच्छे मौसिकीकार थे. कमेटी के मेंबर्स ने उन्हें ही कोई धुन इज़ाद करने के लिए कहा. छागला ने इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया, और इसके लिए वो कड़ी मेहनत करने लगे. कई दिनों की मशक्कत के बाद उन्होंने एक बहुत ही शानदार धुन खोज़ निकाली, जो कमेटी के सभी मेंबर्स को बेहद पसंद आई. इस धुन को बनाने में उन्होंने अलात-ए-मौसिकी का इस्तेमाल किया था. इस धुन की समय सीमा कुल 80 सेकेंड की थी, और इस धुन का नाम 'पाकिस्तान ज़िंदाबाद' रखा गया.नामचीन शायर हफ़ीज़ जालंधरी.अब अगला मसला इस धुन पर शायरी के चुनाव का था.
14 अगस्त 1947 को दुनिया के नक्शे पर एक नए मुल्क ने जन्म लिया. जब एक नया मु्ल्क बन गया तो उसे एक परचम और एक कौमी तराने की जरूरत थी. देश का परचम पहले ही तैयार हो चुका था. कायद-ए-आज़म मोहम्मद अली जिन्ना ने पहले ही आवाम को बता दिया था कि मुस्लिम लीग का परचम ही पाकिस्तान का परचम बनेगा. अब जरूरत थी एक कौमी तराने की. आज़ादी के समय पाकिस्तान के पास कोई कौमी तराना नहीं था. इसलिए जब भी परचम फहराया जाता तो"पाकिस्तान जिन्दाबाद, आज़ादी पाइन्दाबाद" के नारे लगते थे. जिन्ना को यह मंज़ूर नहीं था.
जगन्नाथ आज़ाद ताज्जुब में भी थे और खुश भी. लेकिन पाकिस्तान के कट्टर सोच रखने वाले मुस्लिम नेताओं को ये बात पसंद नहीं आई. वो इससे बहुत नाराज़ हुए कि एक हिन्दू पाकिस्तान का कौमी तराना कैसे लिख सकता है. लेकिन जिन्नाह की मर्ज़ी के आगे वे सभी बेबस थे. आख़िरकार जगन्नाथ आज़ाद ने पांच दिनों के अंदर कौमी तराना तैयार कर लिया जो जिन्ना को बेहद पसंद आया.जिन्ना ने तो इसे पाकिस्तान का कौमी तराना बना दिया, पर उनकी मृत्यु तक ही यो कौमी कराना बना रहा.
ये कुत्ता कौन है भाई ।
इनका राष्ट्रीय पिता भी एक हिन्दू से मुस्लिम बना हुआ था जिन्ना
Wah re dalalo isme bhi hindu Muslims
Ye gan..nd ki shakal ka kyon dikhate ho
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