बुलाकी शर्मा वे उसकी खूबियों के साथ खामियों पर भी चर्चा करते हैं। सवाल करते हैं कि इसका अंत आपने ऐसे क्यों किया या कि बेवजह विस्तार क्यों दिया या कि विस्तार की जरूरत होते हुए भी समेटा क्यों! सवाल करना उनकी आदत में शुमार है। मेरी रचना पर बात करके फिर पूछेंगे- आपका मूड है तो हम चुटकुले सुनाएं। तय है कि मैं हामी भरूंगा। चुटकुला सुनाने के बाद वे प्रतिक्रिया जानना चाहेंगे कि इनमें से कौन-सा ज्यादा अच्छा लगा। फिर उनका अगला सवाल होगा- आपको यही ज्यादा अच्छा क्यों लगा, दूसरा क्यों नहीं? सोशल मीडिया के...
कर सकते कि सोशल मीडिया ने हमें बहुत व्यावहारिक बना दिया है। दूसरों की प्रशंसा करो और बदले में स्वयं की प्रशंसा पाओ। मेरे एक मित्र का स्पष्ट सिद्धांत है- लाइक के बदले लाइक और कमेंट के बदले कमेंट। हमारे पश्चिमी राजस्थान के गांवों में शादी-ब्याह के अवसर पर शगुन स्वरूप दी गई राशि का बहियों में हिसाब रखने की परंपरा है। वैसे ही सोशल मीडिया से जुड़े सजग महानुभाव लाइक और कमेंट का हिसाब रखते पाए जाते हैं। शगुन स्वरूप दी जाने वाली राशि को हमारे यहां ‘बान’ कहते हैं। अगर कोई शहरी मानसिकता वाला बान की राशि...
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