पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: यह समय बहुत अधिक सावधानी बरतने का है; बाहर मन और घर में ध्यान साधें

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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: यह समय बहुत अधिक सावधानी बरतने का है; बाहर मन और घर में ध्यान साधें panditvijayshankarmehta opinion columnist

Column By Pt.

अब बहुत अधिक उठा-पटक न करें। यदि बौना बनना पड़े तो बन जाइए। यह बहुत अधिक सावधानी बरतने का समय है। वहीं घर की व्यवस्था को माइक्रो ढंग से चलाएं। बहुत सूक्ष्मता से ध्यान रखिए हर बात का। आय का, खर्च का, घर के सदस्यों की मानसिकता का, रिश्तों का। बाहर हमारा दबदबा होता है, घर में दबाव होता है। बाहर शोहरत होती है, घर में शांति होती है। बाहर मामला संपत्ति का है, घर के भीतर साधना का है।

बाहर मन को साधना पड़ता है, घर में ध्यान को साधिएगा। बाहर प्रतिष्ठा काम आती है, घर में प्रेम काम आता है। बाहर आपके तेवर चल सकते हैं, घर में तेवर तनाव बन सकते हैं। बाहर का मामला खैरियत से जुड़ा है, घर का मामला खुशी से जुड़ा है। तो इस समय माइक्रो और नैनो व्यवस्थाओं पर ध्यान दीजिएगा। जैसे धर्म नैनो व्यवस्था है, योग माइक्रो व्यवस्था होगी।

 

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