नीतीश सरकार ने चमकी बुखार पर शोध, जागरूकता, पुनर्वास के लिए कोई फंड नहीं मांगा

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एनएचएम 2019-20: नीतीश सरकार ने चमकी बुखार पर शोध, जागरूकता, पुनर्वास के लिए कोई फंड नहीं मांगा Bihar Muzaffarpur AES NitishKumar NationalHealthMission NHM बिहार मुजफ्फरपुर नीतीशकुमार चमकीबुखार एनएचएम एईएस

बिहार में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम या चमकी बुखार से अब तक करीब 150 बच्चों से ज्यादा की मौत हो चुकी है. तकरीबन 100 से अधिक बच्चों की मौत के बाद देश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने 17 जून को मुज़फ्फरपुर का दौरा किया था और कई घोषणाएं कीं.

एनएचएम के बजट में 60 फीसदी केंद्र और 40 फीसदी राज्य सरकार की हिस्सेदारी होती है. केंद्रशासित प्रदेशों के मामले में ये आकड़ा 90:10 का होता है.एईएस/जेई बीमारी को लेकर लोगों को संवेदनशील बनाने के लिए आशा कार्यकर्ताओं को इसकी जिम्मेदारी दी जाती थी. इस काम के लिए अलग से बजट आवंटित किया जाता है. हालांकि एनएचएम के तहत बिहार सरकार के लिए आवंटित बजट से पता चलता है कि राज्य सरकार ने साल 2019-20 के लिए एक रुपये की भी मांग नहीं की थी और न ही कोई राशि स्वीकृत हुई है.

बिहार के मुजफ्फरपुर के एक अस्पताल में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों की देखरेख में लगे परिजन. साल 2011 में मंत्रियों के एक समूह ने सुझाव दिया था कि इस बीमारी के मामलों को रेफर करने के लिए आशा वर्कर को शामिल किया जाना बेहद जरूरी है. बिहार सरकार के राज्य स्वास्थ्य समिति की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस बीमारी से दस मरीजों में से दो से चार मरीजों की मौत हो जाती है और तीन से चार मरीज किसी न किसी प्रकार की विकलांगता के शिकार हो जाते हैं. सिर्फ दो से पांच बच्चे पूरी तरह से ठीक हो पाते हैं.

इस साल के बजट के मुताबिक दो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को अपग्रेड किया जाना है. हालांकि एक भी नया पीएचसी, जिला अस्पताल, सीएचसी बनाने के लिए इस बजट में कोई प्रावधान नहीं है.

 

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