निपाह वायरस: जानलेवा संक्रमण जिसका कोई वैक्सीन नहीं है - BBC News हिंदी

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निपाह वायरस: जानलेवा संक्रमण जिसका वैक्सीन नहीं है, क्या ये बन सकता है अगली महामारी की वजह?

उनकी टीम ने कुछ ही दिन में वायरस का पता लगा लिया और चीन के बाहर कोरोना संक्रमण के पहले मामले की पुष्टि की.

एशिया में संक्रामक रोक अधिक संख्या में हैं. गर्म वातावरण की वजह से यहां जीवों की प्रजातियां भी ज़्यादा हैं जिसका एक मतलब ये भी है कि यहां पैथोजेन भी बड़ी तादाद में हैं और इसी वजह से यहाँ नए वायरस के सामने आने का ख़तरा भी अधिक रहता है. बढ़ती आबादी और इंसानों और जानवरों के बीच बढ़ते संपर्क से जानवरों से वायरस के इंसानों में आने का ख़तरा भी बढ़ा है.

निपाह वायरस डब्ल्यूएचओ के शीर्ष दस वायरस में शामिल है. एशिया में पहले ही वायरस के कई संक्रमण हो चुके हैं, ऐसे में ये भी नहीं कहा जा सकता है ये वायरस की सूची का अंत है.निपाह के ख़तरनाक होने के कई कारण हैं. इसका इंक्यूबेशन पीरियड बहुत लंबा है, एक मामले में तो ये 45 दिन था. इसका मतलब ये है कि कई बार संक्रमित व्यक्ति, जिसे शायद पता ही ना हो कि वो संक्रमित है, अनजाने में इसे लोगों में फैला सकता है.

वीएसना डांग कहते हैं कि आम लोग और गली के कुत्ते रोजाना यहां से गुजरते हैं और उन पर चमगादड़ के पेशाब के गिरने का ख़तरा बना रहता है. डांग कहते हैं, ऐसे में सिर्फ़ अंकोर वाट में ही निपाह वायरस के इंसानों में आने के 26 लाख मौके होते हैं. ये सिर्फ एक जगह का आंकड़ा है. कंबोडिया और थाइलैंड के ग्रामीण इलाक़ों में चमगादड़ों की बीट से खाद भी बनाया जाता है जिसे स्थानीय भाषा में गुआनो कहा जाता है.ये स्थानीय लोगों के लिए कमाई का एक महत्वपूर्ण ज़रिया भी है. डांग ने ऐसे कई इलाक़ों का पता लगाया है जहां स्थानीय लोग चमगादड़ों को अपने घरों के पास रहने के लिए आकर्षित करते हैं ताकि वो उनकी बीट को खाद के तौर पर बेच सकें.

दुनिया की 60 प्रतिशत आबादी एशिया प्रशांत क्षेत्र में रहती हैं जहां अब भी बड़े पैमाने पर शहरीकरण हो रहहा है. विश्व बैंक के डाटा के मुताबिक साल 2000 से 2010 के बीच पूर्वी एशिया में बीस करोड़ लोग शहरों में आकर बसे.चमगादड़ों के प्राकृतिक निवास स्थानों के नष्ट होने से पहले भी निपाह संक्रमण हो चुका है. साल 1998 में मलेशिया में हुए निपाह संक्रमण से 100 से ज़्यादा लोग मारे गए थे.

फ्रूट बैट्स आम तौर पर फलों से लदे घने जंगलों में रहते हैं जहां उनके पास खाने के लिए पर्याप्त फल होते हैं. जब उनके घर को नष्ट कर दिया जाता है तो वो अपना पेट भरने के नए तरीके निकालते हैं.डांग कहते हैं, जिन चमगादड़ों को हमने रोज़ाना सौ किलोमीटर से अधिक का सफर करते देखा है उनके ऐसा करने का एक कारण ये भी है कि उनके प्राकृतिक निवास स्थानों को नष्ट कर दिया गया.

 

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वैज्ञानिक समय रहते इसकी वैक्सीन तैयार क्यों नहीं करते हैं जब आग लगेगी तभी कुआं खोदेंगे क्या?

Jhoothon ka sardar

Oh god.. who invented this one ? Again chinese or someone else? God pls stop .. no more of this now

पहले कोरोना का भी नहीं था। अब इस निपाह को भी देख लेंगे।

जहाँ निपाह वायरस है वहाँ जा कर बोलो ताली , थाली बजाने वाले ने तो दो दो वैक्सीन बनवा दी जिसकी डिमांड दुनियाँ भर में है मोदी है तो मुमकिन है

Abey nhi be, lifetime wfh karwaoge kya

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