निखिल कुमार से लेकर मीरा कुमार तक सांसद रहींबिहार विधानसभा चुनाव की भले ही औपचारिक घोषणा न हुई हो, लेकिन राजनीतिक पार्टियां सियासी समीकरण बनाने में जुटी हुई हैं. ऐसे में बिहार के पुलिस महानिदेशक रहे गुप्तेश्वर पांडेय ने सियासी पिच पर किस्मत आजमाने के लिए वीआरएस ले लिया है. वो किस पार्टी से और कौन सी सीट से चुनाव लड़ेंगे, इसकी तस्वीर साफ नहीं है. हालांकि, बिहार के राजनीतिक इतिहास में गुप्तेश्वर पांडेय पहले अफसर नहीं है, जिन्होंने चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया है.
बता दें कि हाल ही में बिहार के दो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अपने पद से इस्तीफा देकर सियासत में अपना भाग्य आजमाने की तैयारी में हैं. इसमें बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ही नहीं बल्कि सुनील कुमार का नाम शामिल है. पूर्व आईपीएस सुनील कुमार ने पुलिस भवन निर्माण निगम के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक पद से सेवानिवृत्त होने के बाद 29 अगस्त को जेडीयू का दामन थामा है. सुनील कुमार के भाई अनिल कुमार कांग्रेस के विधायक हैं. माना जा रहा गोपलगंज से सुनील कुमार चुनावी मैदान में तर सकते हैं.
जेडीयू में नीतीश कुमार के बाद नंबर दो ही हैसियत रखने वाले आरसीपी सिंह आईएएस रहे हैं. मौजूदा समय में जेडीयू से राज्यसभा सदस्य हैं. आरसीपी उत्तर प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी थे और बाराबंकी में डीएम रहे हैं. इसी दौरान बाराबंकी के रहने वाले और सपा के दिग्गज नेता बेनी प्रसाद वर्मा ने नीतीश से कह कर आरसीपी सिंह को राजनीति में एंट्री करायी थी. वहीं, पूर्व डीजी अशोक कुमार गुप्ता आरजेडी का दामन थामकर विधानसभा पहुंचने की जुगत में जुटे हैं.
2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में पुलिस सेवा के अधिकारी सोम प्रकाश औरंगाबाद जिले के ओबरा से निर्दलीय विधायक चुने गए थे. इसके बाद 2015 के चुनाव में वो हार गए थे. हालांकि इस बार मैदान में उतरने की तैयारी है. दारोगा की नौकरी से वीआरएस लेने वाले रवि ज्योति राजगीर से जेडीयू के विधायक हैं. इसी तरह मनोहर प्रसाद सिंह भी मनिहारी विधानसभा सीट से जीतकर लगातार दूसरी बार विधायक बने हैं और हैट्रिक लगाने की जुगत में हैं.
imkubool सच्चाई तो देखें ये DGP की ।
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imkubool लेकिन 1 को छोड़कर करके सभी का झारखंड ही हुआ है
imkubool Very good
imkubool दिक्कत क्या है.?और किसको है.. वो भी नागरिक है। और सक्षम विद्वान और काबिल व्यक्ति भी। ये मुल्लों की तरह लोगों को गुलाम समझना छोड़ दो
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