दो महिला पत्रकारों ने राजद्रोह क़ानून की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी

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दो महिला पत्रकारों ने राजद्रोह क़ानून की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी Sedition Section124A SupremeCourt Journalists राजद्रोह धारा124ए सुप्रीमकोर्ट पत्रकार

दो महिला पत्रकारों ने राजद्रोह कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. इन पत्रकारों ने कहा है कि औपनिवेशिक समय के दंडात्मक प्रावधान का इस्तेमाल पत्रकारों को डराने, चुप कराने और दंडित करने के लिए किया जा रहा है.

याचिका में कहा गया है कि राजद्रोह के अपराध की सजा के लिए उम्रकैद से लेकर साधारण जुर्माने तक की जो तीन श्रेणियां बनाई गई हैं, वह जजों को निर्बाधित विशेषाधिकार प्रदान करने के समान हैं, क्योंकि इस सजा के लिए कोई दिशानिर्देश नहीं है. इसलिए यह संविधान में प्रदत समता के अधिकार का उल्लंघन करते हैं और मनमाना है.

पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि राजद्रोह राजनीतिक अपराध था, जिसे मूलत: ब्रिटिश उपनिवेशवाद के दौरान राजनीतिक विद्रोह को कुचलने के लिए लागू किया गया था. इसने कहा कि इस तरह के ‘दमनकारी’ प्रवृत्ति वाले कानून का स्वतंत्र भारत में कोई स्थान नहीं है. शौरी ने अपनी याचिका में अदालत से कानून को असंवैधानिक घोषित करने का आग्रह किया, क्योंकि इसका भारी दुरुपयोग हुआ है. साथ ही नागरिकों के खिलाफ बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग करने के लिए मामले दायर किए जा रहे हैं.

 

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