देश में बड़ी समस्या है न्याय में देरी, विभिन्न अदालतों में लंबित पड़े हैं करोड़ों मामले

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देश में न्याय पाना कितना मुश्किल है यह वही व्यक्ति जान सकता है जिसका कोई केस किसी अदालत में मौजूद है। अदालतों में कई बार पुलिस एवं वकील अलग-अलग बहाने बनाकर किसी मुकदमे में स्थगन ले लेते हैं।

साल 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ बनाम यूनियन ऑफ इंडिया एंड अदर्स के केस में केंद्र और राज्य सरकारों को बहुत सारे दिशानिर्देश दिए थे। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं-भारत में अगले आने वाले पांच वर्षो यानी 2007 तक 50 न्यायाधीश प्रति 10 लाख लोगों पर करने की जिम्मेदारी सरकारों की है। सभी जिला न्यायालयों के जजों को रहने, आने-जाने, सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाए जाएं। सभी जिला न्यायालयों के भवन की मरम्मत करवाई जाए और अधिक संख्या में कोर्टरूम बनाए...

आज 2021 आ चुका है, लेकिन उन निर्देशों का अब तक पूरी तरह पालन नहीं हुआ है। परिणामस्वरूप पड़े हैं। हालांकि इसकी दूसरी कई वजहें भी हैं। अपने देखा होगा कि अदालतों में कई बार पुलिस एवं वकील अलग-अलग बहाने बनाकर किसी मुकदमे में स्थगन ले लेते हैं। इससे पीड़ित और आरोपी दोनों को मानसिक चोट पहुंचती है। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 173 में पुलिस किसी भी अपराध के घटित होने के बाद अपनी रिपोर्ट बनाकर संबंधित जज को भेजती है। उसके बाद ही न्यायालय की प्रक्रिया शुरू होती है। इस धारा में यह तय नहीं है कि पुलिस को...

 

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इसलिये तो आम जनता का न्याय पालिका से विश्वास उठ चुका है क्योंकि नेता और अधिकारी. गुन्डे बदमाश सभी लोग कहते है कि न्याय हमारी जेब में है

ये नही है समस्या , अभी भी जड़ में नही जा पा रहे है , असली समस्या जनसंख्या है , बेरोज़गारी,क्राइम,भुखमरी,सब उसी से जुड़े मसले है ।।

True

सरकार को इस मामले पर अवश्य ही ध्यान देना चाहिए क्योंकि यह जनहित से जुड़ा मामला है | न्याय व्यवस्था का दुरुस्त होना एक लोकतंत्र के लिए अति आवश्यक है जिससे लोगों को यह न लगे कि उनके न्याय पाने के अधिकार में कोई बाधा नहीं है क्योंकि कहा जाता है - देर से न्याय मिलने का कोई मतलब नहीं|

जबलपुर में हुए निर्भया कांड से भी खतरनाक कांड करने वाले दोषियों का पता लगवाए जन जागरण न्यूज़ से अपील है समाज की

ये नही है समस्या , अभी भी जड़ में नही जा पा रहे है , एसली समस्या जनसंख्या है , बेरोज़गारी,क्राइम,भुखमरी,सब उसी से जुड़े मसले है ।।

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