अगस्त में दोनों कंपनियों ने एलान किया था कि इसके लिए रिलायंस क़रीब 24,700 करोड़ रुपये चुकाएगा.तब भी इस बात पर सवाल उठ रहे थे कि आख़िर किशोर बियानी ऐसा सौदा क्यों कर रहे हैं, जिसमें उनका सबसे प्रिय ब्रांड बिग बाज़ार ही नहीं, पूरा रिटेल और होलसेल कारोबार बिक जाएगा और फिर भी कंपनी का या प्रोमोटर का पूरा क़र्ज़ उतर नहीं पाएगा.
कोई भी विदेशी निवेशक तब तक किसी भारतीय कंपनी में पैसा लगाने से हिचकता रहता है, जब तक कि उसे कंपनी पर नियंत्रण या कम से कम दबाव बनाने लायक हिस्सेदारी न मिले. ये नियम अजीब है, क्योंकि एक तरफ तो अमेज़ॉन ख़ुद भारत में जमकर कारोबार कर रहा है, दूसरी तरफ भारत से शुरू हुआ फ़्लिपकार्ट अब वॉलमार्ट के हाथ में पहुँच चुका है. लेकिन अमेज़ॉन के लिए फ़्यूचर ग्रुप या ऐसे किसी दूसरे रिटेलर का हिस्सा ख़रीदना अब भी आसान नहीं है.शायद इसीलिए कई रिटेलर अपने-अपने पार्टनर तलाश कर बैठे थे कि जैसे ही क़ानूनों में बदलाव होगा, हम अपना समझौता आगे बढ़ा लेंगे. इस तैयारी की वजह भी थी.
यह कंपनी गिफ़्ट वाउचर, पेमेंट ऐप वगैरह का कारोबार करती है. यानी अगर आप बिग बाज़ार या सेंट्रल का गिफ़्ट वाउचर ख़रीदकर किसी को देते हैं, तो वो वाउचर इस कंपनी से आता है.लेकिन बड़ी बात यह थी कि इस कंपनी के पास फ़्यूचर रिटेल लिमिटेड में लगभग 10 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी. जिस वक़्त इस समझौते का एलान हुआ, तब बाज़ार ने भी इसे यूँ ही पढ़ा कि अमेज़ॉन ने पिछले रास्ते से फ़्यूचर ग्रुप के कारोबार में हिस्सा ख़रीदने की शुरुआत कर दी है.
क़र्ज़ की ज़रूरत पूरी करने के लिए प्रोमोटर ने भी अपने काफ़ी शेयर गिरवी रखे हुए थे. उस वक़्त फ़्यूचर रिटेल का शेयर क़रीब 380 रुपये का चलता था, लेकिन इस साल फ़रवरी में अचानक इसके शेयरों में तेज़ी से गिरावट आई और कुछ ही समय में यह गिरकर 100 रुपये से नीचे पहुँच गया. मार्च के महीने में लॉकडाउन एक तरह से मुसीबत का पहाड़ बन गया, क्योंकि अब हर रोज़ स्टोर में सामान बिकना और वहाँ से नकद पैसा आना भी बंद हो गया.किशोर बियानी ने एक इंटरव्यू में कहा कि देशबंदी के बाद सारे स्टोर बंद हो गए और अगले तीन-चार महीनों में ही कंपनी को सात हज़ार करोड़ रुपये का नुक़सान झेलना पड़ा, जो बर्दाश्त से बाहर था.
जानकारों की राय है कि फ़्यूचर ग्रुप के दो तर्क उसका केस मजबूत बनाते हैं. एक तो यह कि अमेज़ॉन के साथ करार में फ़्यूचर रिटेल कोई पार्टी या पक्ष नहीं था, इसलिए उसे अपना कारोबार बेचने का पूरा हक़ है. और दूसरा यह कि अगर यह सौदा नहीं हो पाया तो फ़्यूचर ग्रुप का दीवाला निकल सकता है. इससे न सिर्फ़ कंपनी बल्कि उसके हज़ारों कर्मचारी भी मुसीबत में आ जाएँगे.
मोदी है तो मुमकिन है जय हिंद जय भारत
Jeff Bezos is a genius.. where Mukesh Ambani is a pure thug.
कार्ल मार्क्स ने ऐसे ही पूँजीपतियो को ठीक करने के लिए विचार दिया था
BIG BAZAAR BRAND OF STORES INNOVATION OF RETAILS FUTURE CONSUMER IS ONE OF THE BIG BRAND AND RETAILS CHAIN IN INDIA DUE LOCK DOWN GOT FINANCIAL PROBLEM THAT WAS IN EVERY WHERE IN PAST IT SHEAR WAS AT Rs 90/- PLUS GOOD TO BUY ANY ONE मुकेश अंबानी और जेफ़ बेज़ोस GOOD
Dono bhikari ko mtt do kisi garib ko daan de do
I favor british over ambanis
BSP = BJP in UP Owaisi = BSP in Bihar Owaisi = BJP in India
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