सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट को निर्देश दिया है कि वह फैसला करे कि सरकार के खुफिया और सुरक्षा संगठनों पर सूचना का अधिकार कानून लागू होता है या नहीं? इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने वरिष्ठता और पदोन्नति के संदर्भ में एक कर्मचारी को जानकारी उपलब्ध कराने का एक विभाग को निर्देश देने संबंधी उसका आदेश खारिज कर दिया है।
जस्टिस एमआर शाह और एएस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट ने सरकारी विभाग की उस आपत्ति पर निर्णय लिए बिना निर्देश दे दिया कि उस पर आरटीआइ कानून लागू नहीं होता है। पीठ ने कहा, 'विभाग की ओर से यह विशेष प्रश्न उठाया गया था कि आरटीआइ अधिनियम इस संगठन/विभाग पर लागू नहीं होता है।इसके बावजूद इस आपत्ति का निर्णय किए बिना हाई कोर्ट ने अपीलकर्ता को आरटीआइ अधिनियम के तहत मांगे गए दस्तावेज प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। यह क्रम को बदलने जैसा...
शीर्ष अदालत ने कहा कि हाई कोर्ट को सबसे पहले संगठन या विभाग पर आरटीआइ अधिनियम लागू होने के संबंध में फैसला करना चाहिए था। पीठ ने अपने हालिया आदेश में कहा है, 'हम हाई कोर्ट को निर्देश देते हैं कि वह पहले अपीलकर्ता संगठन/विभाग पर आरटीआइ अधिनियम लागू होने के मुद्दे पर फैसला करे। उसके बाद स्थगन आवेदन/एलपीए पर फैसला करे। इसका निर्धारण आठ सप्ताह की अवधि के भीतर किया जाएगा।
शीर्ष अदालत हाई कोर्ट के 2018 के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें विभाग को 15 दिनों के भीतर कर्मचारी को जानकारी प्रदान करने का निर्देश दिया गया था। इससे इतर सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका के डिजिटलीकरण की ओर एक और कदम बढ़ाते हुए देश के सभी हाईकोर्टों से उनके समक्ष कुछ निश्चित मामलों में दायर होने वाली याचिकाओं को अगले साल एक जनवरी से ई-फाइलिंग अनिवार्य करने के निर्देश दिए हैं। सर्वोच्च न्यायालय की ई-समिति के अध्यक्ष ने पत्र में सभी हाईकोर्टों की रजिस्ट्री से कहा कि वे पहली जनवरी से सरकार की ओर दायर मामलों की ई-फाइलिंग अनिवार्य किया जाना सुनिश्चित...
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