दिल्ली की तरफ बढ़ रहे किसानों ने बेरिकेड्स तोड़े, पुलिस ने रोकने के लिए किया वाटर कैनन का प्रयोग

  • 📰 NDTV India
  • ⏱ Reading Time:
  • 75 sec. here
  • 3 min. at publisher
  • 📊 Quality Score:
  • News: 33%
  • Publisher: 63%

इंडिया मुख्य बातें समाचार

इंडिया ताज़ा खबर,इंडिया मुख्य बातें

कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली की तरफ मार्च कर रहे किसानों पर पुलिस ने किया वाटर कैनन का प्रयोग

चंडीगढ़: केंद्र सरकार की तरफ से संसद के पिछले सत्र में बनाए गए कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन लगातार तेज होता जा रहा है. पंजाब और हरियाणा के किसान अब दिल्ली कूच करने की तैयारी में हैं. किसानों को दिल्ली पहुंचने से रोकने के लिए हरियाणा सरकार ने खास तैयारी की है. हरियाणा पुलिस ने बेरिकेड्स लगाकर किसानों को रोकने का प्रयास किया है. किसान बेरिकेड्स तोड़कर आगे बढ़ते रहे जिसके बाद पुलिस की तरफ से वाटर कैनन का प्रयोग किसानों पर किया गया है.

यह भी पढ़ेंकड़ाके की ठंड में भीगते हुए भी किसानों ने मोर्चाबंदी जारी रखी है. किसान अब कुरुक्षेत्र से होते हुए करनाल की तरफ जा रहे हैं. किसानों का एक जत्था पहले से ही सोनीपत की ओर मार्च कर रहा है, जहां वे रात भर रुकेंगे और कल सुबह दिल्ली के लिए रवाना होंगे. इधर गुरुग्राम में दिल्ली-हरियाणा सीमा पर भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई है. दिल्ली पुलिस भी मौके पर इकट्ठा हो गई है, प्रशासन का प्रयास है कि किसी भी तरह से किसानों को राजधानी दिल्ली में घुसने से रोका जाए.

इससे पहले, दिल्ली पुलिस ने छह राज्यों ,उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, राजस्थान, केरल और पंजाब से किसान संगठनों के सभी अनुरोधों को खारिज कर दिया था. किसान संगठन कृषि कानूनों के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी में विरोध प्रदर्शन करना चाहते थे. पुलिस का कहना है कि कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

भाजपा शासित हरियाणा ने भी, प्रदर्शनकारी किसानों को अनुमति देने से इनकार कर दिया था. पिछले दो दिनों से, हरियाणा पुलिस अंबाला, भिवानी, करनाल, बहादुरगढ़, झज्जर और सोनीपत में जगह-जगह बेरिकेड्स लगाकर प्रदर्शनकारियों को रोकने में लगी है. अम्बाला, हिसार, रेवाड़ी और पलवल में भी पुलिस की तरफ से किसानों को रोकने की व्यवस्था की गयी है.

बताते चले कि पंजाब में किसान संगठन 23 नवंबर से रेल सेवा फिर से शुरू करने को राजी हो गए थे. पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और किसान संगठनों के बीच वार्ता के बाद यह सहमति बनी थी. किसान संगठन लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं. इससे राज्य में रेल सेवाएं करीब-करीब ठप हैं. किसान संगठनों ने केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में पारित कृषि कानूनों को वापस लेने समेत कई मांगें रखी थी.

 

आपकी टिप्पणी के लिए धन्यवाद। आपकी टिप्पणी समीक्षा के बाद प्रकाशित की जाएगी।

चोर चैनल

दिल्ली एक राज्य ही नहीं देश की राजधानी भी है जहां संसदभवन,राष्ट्रपतिभवन,मीडिया,प्रधानमंत्री देश के सभी सांसद सब सुनने वाले दिल्ली में तो सरकार किसानों को दिल्ली क्यों नही जाने दे रही है क्योंकि सरकार किसानों से डरती इसी लिए पुलिस को आगे करती है

खामोश मोई के मालिक का गुलाम बनने से इंकार करोगे तो हमारे तट्टु तुम्है खलीस्तानी सिद्ध करेंगे, तुमपर जनरल डायर से भी ज्यादा जुल्म करेंगे ताकी आनेवाली पीढीया सम्मान से जीना, हक की लडाई लडने से थर थर कापे, इसलिए भलाई इसीमे हि है नमो चालीसा का पठन करो,अमीरो को लुटने दो समझे

सरकार कारोबारियों के लिये रेड कार्पेट बिछती है किसानों के लिये पुलिस के लाठी डंडे वाटर कैनन का चलवाती है

बस गोलियां चलवाना बाकी है !

इनका क्या ये मानवता के दुश्मन गोलियाँ भी चलवा सकते हैं। किसानों को पूंजीपतियों के हाथों बेंच दिया है। FarmersProtest

और bjp कहती है कि वो किसानों के साथ है।ये होता है जब सत्ता का नशा चढ़ जाता है।ये अन्नदाता के साथ अन्याय है।

दिल्ली में कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है, या दिल्ली की ओर किसान बढ़ रहे हैं?

Modi aise farmers ke khilaaf hai kya? (Tumhara hi channel hai😜)

Political party ke liye kuchh kissanon sanghatan virodh kar rahe hain

किसानों की फरियाद नहीं सुन रहा सरकार ,अगर किसान सरकार को अनदेखा करके सिर्फ एक साल की पराली खेतों में जला दे तो सरकार नाक रगड़ दे लेकिन किसान ऐसा नहीं करेगा देश को अपना समझता हैं तुम अंगेज जैसे सलुक करते हो

EMERGENCY से भी बदतर LOCKDOWN. ..20 लाख करोड का जुमला पैकेज...फैलता हुआ कोरोना...गिरती हुई GDP....एतिहासिक बेरोजगारी...तडपते हुए गरीब मजदूर और किसान,,,चरमराती हुई ECONOMY....और..मन की बात ... मोदी जी आधुनिक भारत के भस्मासुर बन चुके है.....

लग रहा है एनडीटीवी के अलावा बाकी न्यूज़ चैनलों पर ये खबर चलाने की रोक है

NoorAnsari123 Up Bihar ke kisaan sab kaha hai

लोकतंत्र में अगर सार्वजनिक संपत्ति और किसी का हित प्रभावित नहीं होता है तो आमजन को हड़ताल करने का अपनी मांगे रखने का पूरा अधिकार है भारत अब गुलाम नहीं है पुलिस का यह कृत्य आमजन पर जो हो रहा है अंग्रेजों की याद दिलाता है क्या भारत गुलाम है पहुंचता है आमजन

ये देश को अस्त व्यस्त करना चाहते हे।

दोनों तरफ से बेशर्मी ही है। दिल्ली जाकर क्या होगा? सिर्फ उनकी सरपरस्ती करने वाली राजनीतिक पार्टियों को फायदा। किसान अपनी पैदावर बेचें देखें घाटा है तो बात करें इतना उत्साहित होकर सब भूल जाना और सब कुछ छोड कर दिल्ली जाना। कोई कारण नही दिखता हाँ राजनीतिक उल्लू जरूर सिद्ध हो रहे हैं

मोदी सरकार का ये रवयिया देश के लिए बर्बादी ही लाएगा।पहले अंग्रेज़ राज कर रहे थे आज उनका साया भाजपा का राज है ये क़ोनसा उनसे कम हैं। हम सब भारतीयों को किसानों का साथ इसलिए देना चाहिए क्यूँकि इन क़ानूनों की मार सबसे ज़्यादा आम लोगों पे पड़ेगी क्यूँकि जमाख़ोरी पे पाबंदी हट जाएगी।

रेपिस्ट के खिलाफ क़ानून क्यू नहीं बनाते हैँ

How can they do to the backbone of India

no one is happy with present government,why?

किसानों को जितना रोकेंगे उतना ही तगड़ा विरोध भी बढ़ता जाएगा इनको रोकने वाले ज़्यादा दिन सरकार नहीं चला पाएँगे क्यूँकि भारत में 70% लोग सीधे या किसी ओर तरीक़े से किसानी से जुड़े हुए हैं।मोदी सरकार तो अब तानाशाही पे उतर आयी है देखते हैं कब तक किसानों को तंग करेंगे।अंत बुरा ही होगा।

हिजरो की सरकार पंजाबी किसान से डर गई

बिलकुल गलत है 😥😥

ज़ालिम सरकार

हमने इस समाचार को संक्षेप में प्रस्तुत किया है ताकि आप इसे तुरंत पढ़ सकें। यदि आप समाचार में रुचि रखते हैं, तो आप पूरा पाठ यहां पढ़ सकते हैं। और पढो:

 /  🏆 6. in İN

इंडिया ताज़ा खबर, इंडिया मुख्य बातें

Similar News:आप इससे मिलती-जुलती खबरें भी पढ़ सकते हैं जिन्हें हमने अन्य समाचार स्रोतों से एकत्र किया है।