जनसत्ता ऑनलाइन नई दिल्ली | Published on: October 13, 2019 10:11 AM प्रतीकात्मक तस्वीर दिल्ली पुलिस का आपसी समन्वय कैसा है, इसकी मिसाल हाल ही में मिली। डेढ़ महीना पहले लापता हुए एक बुजुर्ग को एक थाने की पुलिस तलाश रही थी, तो पड़ोस के दूसरे थाने की पुलिस ने उसे लावारिस मानकर अंतिम संस्कार कर दिया। हद यह है कि दोनों थानों की करतूत परिजनों को काफी दिन बाद पता चली। बुजुर्ग को पैरालाइसिस हो गया था, इसलिए वह बोल नहीं पाता...
मंगोलपुरी इलाके से संदिग्ध दशा में हुए लापता : दिल्ली के मंगोलपुरी इलाके के एन-ब्लॉक में रहने वाले 75 वर्षीय अमरनाथ को पैरालाइसिस हो गया था। वह न तो बोल पाते थे और न ही चल पाते थे। 31 अगस्त की आधी रात के बाद वह संदिग्ध दशा में घर से अचानक निकले तो फिर वापस नहीं लौटे। पत्नी शीला, बेटे लेखराज और बृजमोहन उनकी काफी तलाश की, लेकिन कहीं कुछ जानकारी नहीं मिली। बाद में मंगोलपुरी थाने में गुमशुदगी दर्ज करा दी। परिजनों का आरोप है कि पुलिस उनको यही बताती रही कि वह तलाश रही है, और जल्द ही मिल जाएंगे। यह भी...
National Hindi News, 13 October 2019 Top Headlines Updates: देश-दुनिया की हर खबर पढ़ने के लिए यहां करें क्लिक दो हफ्ते तक लाश मोर्चरी में पड़ी रही : इस बीच 4 सितंबर को बुजुर्ग अमरनाथ बुध विहार की शर्मा कॉलोनी पहुंच गए। उन्हें देखकर कॉलोनी वालों ने एंबुलेंस बुलाकर अंबेडकर अस्पताल में भर्ती करा दिया। अस्पताल वालों ने बुध विहार पुलिस को सूचना दी। 9 सितंबर को बुजुर्ग की इलाज के दौरान मौत हो गई। बुध विहार पुलिस ने उनकी शिनाख्त करने की कोशिश की, लेकिन कुछ पता नहीं चल सका। करीब दो हफ्ते तक लाश को मोर्चरी में सुरक्षित रखा, फिर लावारिस मानकर अंतिम संस्कार करा दिया। इधर मंगोलपुरी पुलिस उनका पता लगाने की ही बात...
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