दिल्ली की जहरीली हवा: यहां हर सांस के लिए चुकानी होती है बड़ी कीमत, जैसा दाम वैसी हवा

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दिल्ली की जहरीली हवा: यहां हर सांस के लिए चुकानी होती है बड़ी कीमत, जैसा दाम वैसी हवा Delhi Airpollution pollution

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भारत में पिछले साल यानी 2019 में सभी रिस्क फैक्टर्स में से जहरीली या प्रदूषित हवा सबसे ज्यादा जानलेवा साबित हुई है। लेकिन सभी को इससे एक जैसा रिस्क नहीं है। जो लोग सक्षम हैं और अच्छे घरों में रहते हैं, उन्हें रिस्क कम है और जो लोग खुले में या झुग्गियों में रहने को मजबूर हैं, उन्हें इससे ज्यादा रिस्क है।

भारत में पिछले साल यानी 2019 में सभी रिस्क फैक्टर्स में से जहरीली या प्रदूषित हवा सबसे ज्यादा जानलेवा साबित हुई है। लेकिन सभी को इससे एक जैसा रिस्क नहीं है। जो लोग सक्षम हैं और अच्छे घरों में रहते हैं, उन्हें रिस्क कम है और जो लोग खुले में या झुग्गियों में रहने को मजबूर हैं, उन्हें इससे ज्यादा रिस्क है।

आम्या को भी स्पोर्ट पसंद है वह सिंगर बनना चाहती हैं। वह अपनी मां के साथ एक एयर-कंडीशन ह्यूंडई कार में स्कूल जाती हैं। जाहिर है आम्या की तुलना में मोनू को दोगुना रिस्क है।दिल्ली का जहरीला स्मॉग सबके लिए खतरनाक है, लेकिन बंद गाड़ियों की तुलना में बाइक, साइकिल और पैदल वालों का पॉल्यूशन एक्सपोजर दोगुना होता है। यानी इनपर असर दोगुना होता है।

आम्या को भी स्पोर्ट पसंद है वह सिंगर बनना चाहती हैं। वह अपनी मां के साथ एक एयर-कंडीशन ह्यूंडई कार में स्कूल जाती हैं। जाहिर है आम्या की तुलना में मोनू को दोगुना रिस्क है। खुले में स्कूल होने के कारण न केवल एयर बल्कि नॉइज पॉल्यूशन भी मोनू जैसों की जिंदगी का हिस्सा है। स्कूल के ऊपर से मेट्रो, सामने से दिल्ली की सड़कों पर हॉर्न बजाकर निकलती हजारों गाड़ियों का शोर ऐसे बच्चों के लिए बहुत आम है।जहां मोनू का स्कूल खुले में है वहीं आम्या का स्कूल पूरी तरह से सील है। आम्या के स्कूल में लगा एयर प्यूरीफायर कितनी हवा साफ कर रहा है और क्लासरूम में एयर क्वालिटी क्या है? इसे मॉनिटर करने के लिए सभी टीचर्स के मोबाइल में एक ऐप है, जिसके जरिए टीचर्स पॉल्यूशन के स्तर को लगातार चेक...

 

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