दिल्ली के गैर-प्रवासी श्रमिकों की आमदनी पर लॉकडाउन ने कैसे पहुंचाई भारी चोट?

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Lockdown के कारण लोगों की आमदनी में गिरावट | AnkiitKoomar

देश की राजधानी दिल्ली में कम आय वाले गैर-प्रवासी समुदाय की आमदनी में लॉकडाउन के दौरान औसतन 57 प्रतिशत कमी आई है. इससे उनकी गरीबी बढ़ गई है. शिकागो और ब्रिटिश कोलम्बिया विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं की ओर से की गई स्टडी ने ये निष्कर्ष निकाला है.

ये स्टडी वेतनभोगी और बिना वेतन वाले रोजगारों से जुड़े कर्मचारियों पर आधारित है. स्टडी के मुताबिक लॉकडाउन के चरणों में विस्तार का असर इन पर धीरे-धीरे हुआ. स्टडी के मुताबिक लॉकडाउन पहले चरण के मुकाबले दूसरे और तीसरे चरण के दौरान आमदनी का नुकसान ज्यादा हुआ.सर्वे का अनुमान है कि इस समूह की औसत साप्ताहिक आमदनी लॉकडाउन के पहले चरण के दौरान 38.9 प्रतिशत गिर गई. लॉकडाउन की अवधि में औसत नुकसान 57 प्रतिशत रहने का अनुमान है.

इनडोर रहने का वक्त 44 प्रतिशत से बढ़ाकर 95 प्रतिशत हो गया. नियमित रूप से हाथ धोना भी 98 प्रतिशत तक पहुंच गया. ऐसे प्रतिभागियों की हिस्सेदारी 12.9 प्रतिशत बढ़ गई जो कहते हैं कि वो स्मोकिंग नहीं करते. सर्वे के लगभग 80 प्रतिशत कर्मचारियों ने कहा कि उन्हें कोविड-19 को लेकर बहुत ज्यादा चिंता महसूस हुई. शोधकर्ता का कहना है, 'हालांकि लॉकडाउन से हुए मेडिकल बेनिफिट को मापना मुश्किल है लेकिन लोगों के बर्ताव में आए बदलाव स्पष्ट दिखते हैं. लॉकडाउन खत्म होने के बाद इन्हें आगे भी बनाए रखना पॉलिसी मेकर्स के लिए बड़ी चुनौती होगा.'सर्वे में तीन चरणों के डेटा की तुलना की गई. कोविड से पहले की स्थिति के डेटासेट में 5,128 व्यक्ति शामिल थे. इनमें 3,018 निम्न आय वाले आस-पड़ोस से और 2,110 नियमित तौर पर पब्लिक बस का इस्तेमाल करने वाले यात्री शामिल थे.

अंतिम डेटासेट में 1,392 व्यक्ति ऐसे शामिल थे, जो स्टडी की अवधि में कम से कम सर्वे के एक राउंड के दौरान कार्यरत थे. सर्वे किए गए ग्रुप की औसत साप्ताहिक आमदनी लगभग 3,000 रुपये थी. लगभग 32 प्रतिशत कर्मचारी मासिक वेतन पर नियुक्त थे. वहीं बाकी लोग ऑटो-रिक्शा, ड्राइविंग, ठेला लगाने वाले, ट्रेंड श्रमिक, निर्माण के काम में लगे मजदूर, प्राइवेट सिक्योरिटी आदि कामों से जुड़े थे.

 

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AnkiitKoomar मजदूर घर जाकर घर का राशन भी खा जायेगे।क्या करेगे ये सब घर जाकर। इन्हे मकान मालिक और कंपनी रहम करती तो ये वही रह्ते। ऐसे लोगो पर कारवाई क्यो नही। क्या वजह। आप तो खबरो मे दिखाओं plz 🙏🙏🙏🙏

AnkiitKoomar

AnkiitKoomar सही कहा हिंदुस्तान के लोगों की आमदनी पर ही फर्क पड़ रहा है बाकी दुनिया के लोग तो नोट छाप रहे हैं हिंदुस्तानियों की आदत है अपने लोगों की अपने देश की टांग खींचेगे दूसरों बेइज्जती करेंगे और दूसरे बाहर के लोगों के तलवे चाटेगे, शर्म आनी चाहिए

AnkiitKoomar सब मुमकिन है

AnkiitKoomar ये तो सब को पता है कुछ नया बताओ.....

AnkiitKoomar यहां सड़क दुर्घटना हुई है पत्रकार :इस दुर्घटना के विषय में कुछ कहना चाहेंगे व्यक्ति : अस्पताल पहुँचा दो। पत्रकार : वो मेरा काम नहीं। व्यक्ति : अरे मर जाऊंगा। पत्रकार : कोई नहीं। फिर एक और स्टोरी करेंगे कि व्यक्ति सड़क पर तड़प तड़प कर मर गया, सरकार मदद को नहीं आई। 😂😂😂😂😂

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