दबथुवा की रैली से जयंत अखिलेश का बढ़ा उत्साह

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दबथुवा की रैली से जयंत अखिलेश का बढ़ा उत्साह

अजित सिंह इसी वजह से लगातार अपना जनाधार खोते गए। मुजफ्फरनगर में 2013 में हुए सांप्रदायिक दंगों ने उनके जनाधार को और भी समेट दिया।

इस बार बसपा चुनावी परिदृश्य से अभी तक तो नदारद है। मुसलमानों और पिछड़ों को भुलाकर बीच में उसने ब्राह्मणों पर डोरे डालने की रणनीति अपनाई पर कुछ खास प्रभाव पड़ता दिखा नहीं। चुनाव में अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है। तो भी मायावती ने अभी तक अपनी एक भी रैली नहीं की है। मायावती के उलट अखिलेश यादव एक महीने से जगह-जगह रैलियां कर लोगों का मूड भांप रहे हैं। उनकी सभाओं में आ रही भीड़ उनका उत्साह भी बढ़ा रही है। अखिलेश यादव ने दबथुवा में चौधरी चरण सिंह और महेंद्र सिंह टिकैत की जमकर प्रशंसा की तो जयंत चौधरी ने कहा कि योगी को गोरखपुर की गऊशाला में भेजना है।

 

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