दिल्ली की सीमाओं पर जारी धरना स्थलों पर अब एक विचित्र स्थिति देखने को मिल रही है। गणतंत्र दिवस तक तो सब ठीक था। ट्रैक्टर की बैटरी खत्म न हो, इसलिए उन्हें रोजाना स्टार्ट कर देते थे। टीकरी बॉर्डर पर सैंकड़ों की संख्या में ट्रॉली खड़ी हैं, जबकि उनके मुकाबले ट्रैक्टरों की संख्या कम है।
इसकी वजह पुलिस में दर्ज मामले रहे हैं। उन ड्राइवरों को पता था कि देर सवेर पुलिस उन तक पहुंच जाएगी। बतौर किसान संगठन के प्रतिनिधि, इन लोगों का कहना था कि अनेक किसानों को पुलिस ने पकड़ रखा है। हमारे डेढ़ सौ से ज्यादा ट्रैक्टर गायब हैं। किसान आंदोलन की शुरुआत में ये ट्रैक्टर यहां पहुंच गए थे। अब जो उपद्रव हुआ, उसके बाद बहुत से किसान पंजाब लौट गए हैं। लालकिला की घटना वाले दिन यहां पर भी बवाल मचा था। इसमें किसानों को बुरी तरह पीटा गया था। गणतंत्र दिवस की रात अनेक किसान दूसरे साथियों के ट्रैक्टर ट्रॉली में सवार होकर चले गए थे। अब उनके ट्रैक्टर ट्रॉली सड़क पर ही खड़े हैं।
दिल्ली की सीमाओं पर जारी धरना स्थलों पर अब एक विचित्र स्थिति देखने को मिल रही है। गणतंत्र दिवस तक तो सब ठीक था। ट्रैक्टर की बैटरी खत्म न हो, इसलिए उन्हें रोजाना स्टार्ट कर देते थे। टीकरी बॉर्डर पर सैंकड़ों की संख्या में ट्रॉली खड़ी हैं, जबकि उनके मुकाबले ट्रैक्टरों की संख्या कम है।हालत कुछ ऐसी है कि ट्रॉली है, मगर ट्रैक्टर नहीं है।अगर ये दोनों हैं तो ड्राइवर गायब है। शनिवार को इस बॉर्डर पर अधिकांश ट्रैक्टर नहीं थे। ट्रॉली को तिरपाल से ढक रखा था। कुछ ट्रैक्टर ट्रॉली ऐसे भी थे, जिनके ड्राइवर वहां...
हम पुलिस को भी शिकायत नहीं दे सकते। इन्हीं में कुछ लोगों ने कहा, हम जानते हैं कि सत्तर से ज्यादा ट्रैक्टर तो पुलिस ने अपने कब्जे में ले रखे हैं। मजबूरी ये है कि अब कौन पूछने जाए और कौन छुड़ाने।
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