में से पांच हजार रुपये यात्री को हुए मानसिक पीड़ा के लिए और बाकी रकम मुकदमेबाजी की लागत के तहत देने के आदेश मिले हैं।
मामला सात साल पुराना है। पुथुर के रहने वाले पीओ सेबेस्टियन ने 29 जून, 2013 को जन शताब्दी एक्सप्रेस में त्रिशूर से तिरुवनंतपुरम की यात्रा की थी। यात्रा के दौरान भारी बारिश हो रही थी लेकिन उनके कोच की स्लाइडिंग खिड़की खराब थी, जिसकी वजह से उनके कपड़े और सामान भीग गया। सेबेस्टियन के मुताबिक उन्होंने ट्रेन में मौजूद टीटीई से खिड़की की मरम्मत करवाने या उसे सुविधाजनक सीट पर शिफ्ट करने का अनुरोध भी किया था, जिसके जवाब में टीटीई ने मदद करने का वादा तो कर दिया, लेकिन इसके बाद कुछ नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि यात्रा के दौरान अपनी कठिनाई के बारे में उन्होंने तिरुवनंतपुरम में स्टेशन मास्टर को भी सूचित किया था, लेकिन उनकी तरफ से भी कोई अनुकूल प्रतिक्रिया नहीं मिली थी।
रेलवे के इस व्यवहार से तंग आकर उन्होंने एडवोकेट वी. एम.
रेलवे की जिम्मेदारी यात्रियों को उनके गंतव्य तक समय पर पहुंचाने के साथ ही ट्रेनों को भी दुरुस्त रखना है। अगर इस व्यवस्था में गड़बड़ी की वजह से किसी यात्री को नुकसान होता है तो रेलवे को हर्जाना देना होगा। ऐसे ही एक मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने एक यात्री को हुई परेशानी के चलते आठ हजार रुपये का हर्जाना अदा करने का आदेश दिया है।दरअसल, ट्रेन में सफर के दौरान में से पांच हजार रुपये यात्री को हुए मानसिक पीड़ा के लिए और बाकी रकम मुकदमेबाजी की लागत के तहत देने के आदेश मिले हैं।मामला...
IRCTCofficial Nice 👍 lots of windows are in poor condition.
IRCTCofficial ऐसे तो मेरी भी टट्टी निकल गई थी एक बारी मुझे तो ₹10 भी नहीं है साबुन क्यों इन्होंने
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