महाराष्ट्र पुलिस ने एलगार परिषद-भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में बुधवार सुबह सामाजिक कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी के घर पर छापा मारा.
बुधवार सुबह करीब 7:15 बजे महाराष्ट्र पुलिस की आठ सदस्यीय टीम ने झारखंड के रांची में स्टेन स्वामी के घर पर छापा मारा. पुलिस ने साढ़े तीन घंटों तक उनके कमरे की छानबीन की. आरोप है कि पुलिस ने उनके कंप्यूटर की हार्ड डिस्क और इंटरनेट मॉडेम जब्त कर लिया और जबरन उनसे उनके ईमेल व फेसबुक के पासवर्ड मांगे.पिछले साल 28 अगस्त 2018 को भी महाराष्ट्र पुलिस ने स्टेन स्वामी के कमरे की तलाशी ली थी.
Pune police have conducted search at the residence of Stan Swamy in Jharkhand and recovered some material including electronic devices in connection with Elgaar Parishad case.स्टेन झारखंड के जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता हैं. वे कई वर्षों से राज्य के आदिवासी व अन्य वंचित समूहों के लिए काम रहे हैं. उन्होंने विशेष रूप से विस्थापन, संसाधनों की कंपनियों द्वारा लूट, विचाराधीन कैदियों व पेसा कानून पर काम किया है.
स्टेन ने समय-समय पर सरकार की भूमि अधिग्रहण कानूनों में संशोधन करने के प्रयासों की आलोचना की है. इसके साथ ही वे वन अधिकार अधिनियम, पेसा व संबंधित कानूनों के समर्थक हैं.मामले में सामाजिक कार्यकर्ता और विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन के संस्थापक सदस्य फादर स्टेन स्वामी, कांग्रेस के पूर्व विधायक थियोडोर किड़ो समेत 20 अन्य लोगों पर राजद्रोह का केस दर्ज किया है.
गैर सरकारी संगठन झारखंड जनाधिकार महासभा ने स्टेन स्वामी के घर पर छापेमारी की निंदा करने के साथ ही पिछले कुछ समय में विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ महाराष्ट्र पुलिस की कार्रवाई की भी आलोचना की है.
social activists or naxal sympathisers,well done PMOIndia .The naxal sympathisers ,the left leaning media houses and naxalites/maoists are waging a war against the nation are termites,need to get rid of them.🇮🇳🇮🇳
भाजपा को कोई वोट नहीं मिला है और ये बात भाजपा अच्छे से जानती है इसलिये गुस्सा पत्रकार पे सेकुलर लोगों पे पुलिस के जरिये शोषण कर रही है। सभी अपनी रछा करे और विशाल जनआंदोलन की तैयारी करे
ये छापेमारियां व गिरफ्तारियां वंचित समूहों के अधिकारों के लिए कार्यरत लोगों में भय पैदा करने के लिए सरकार द्वारा प्रयास हैं. हम मांग करते है कि इस तरह की छापेमारी तुरंत बंद हों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ झूठे मुक़दमे वापस लिए जाए और जो जेल में कैद हैं, उनकी तुरंत रिहाई हो.
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