बीजेपी नेता अरुण जेटली का 24 अगस्त को दोपहर 12.07 बजे निधन हो गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वेबसाइट पर आज भी अरुण जेटली का 27 सितंबर 2013 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखा वह लेटर मौजूद है, जिसमें उन्होंने जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर मोदी और अमित शाह को फंसाने की साजिशों को लेकर हमला बोला था.
अरुण जेटली का यह पत्र नमो वेबसाइट पर एक अक्टूबर 2013 को पब्लिश हुआ था. इस पत्र में अरुण जेटली सोहराबुद्दीन, इशरत जहां, तुलसी प्रजापति एनकाउंटर को लेकर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर झूठे मामले गढ़कर फंसाने की बात कहते हैं. अरुण जेटली ने यह भी आरोप लगाया था कि कांग्रेस सरकार अपनी चर्चित मॉडस ऑपरेंडी के तहत आईपीएस संजीव भट्ट का इस्तेमाल कर मोदी-शाह को फंसाने की कोशिश कर रही है.
साल 2002 के गोधरा दंगों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट से बनी एसआइटी ने नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दिया था. वहीं, सीबीआई की जांच झेल रहे अमित शाह भी सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर केस से बाद में बरी हो गए. विपक्ष की ओर से बिछाए गए कानूनी चक्रव्यूह को तब अरुण जेटली ने ही तोड़ा था. राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष रहते हुए उन्होंने सदन से लेकर मीडिया तक इसे विपक्ष का दमन बताते हुए आवाज बुलंद की थी.यूं तो मोदी और अरुण जेटली की जान-पहचान पुरानी थी, मगर रिश्ते प्रगाढ़ होने शुरू हुए 1998 से.
गोधरा दंगे के बाद जब 2002 का विधानसभा चुनाव हुआ तो दिल्ली से अरुण जेटली को राज्य का चुनाव प्रभारी बनाकर भेजा गया था. कहा जाता है कि मोदी से अच्छे रिश्ते होने के कारण पार्टी नेतृत्व ने उन्हें गुजरात भेजा था. ताकि दोनों नेताओं के मिलकर काम करने से पार्टी को विधानसभा चुनाव में लाभ हो. हुआ भी वही, मोदी के नेतृत्व और जेटली के चुनाव प्रबंधन ने 2002 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी के लिए सत्ता का बंदोबस्त कर दिया.
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