जेटली ने लिया था नोटबंदी , जीएसटी से लेकर बैंकों के विलय तक का कठिन फैसला arunjaitley FinMinIndia GST gst council Ewaybill DeMonetisation bankmerger
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वित्त मंत्री रहे अरुण जेटली ने कई ऐसे फैसले लिए, जिनको आम आदमी हमेशा याद रखेगा। एम्स
फिलहाल जेटली स्वास्थ्य कारणों से राजनीति से दूर थे, लेकिन तब भी वो गाहे बगाहे किसी प्रमुख मुद्दे पर अपनी राय को सोशल मीडिया के द्वारा रखने से पीछे नहीं हटते थे। फिलहाल वो राज्यसभा से सांसद थे।
500 और 1000 रुपये के नोटों के बंद होने के दस दिन बाद वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार के इस फैसले की वजह से अब बैंक सस्ते दर पर कर्ज दे सकेंगे। साथ ही समानांतर अर्थव्यवस्था से मुक्ति मिलेगी। एक कार्यक्रम में शिरकत करने के दौरान जेटली ने कहा कि जहां तक फैसले को लागू करने की बात है तो उन्हें नहीं लगता कि मौजूदा व्यवस्था से बेहतर कुछ और किया जा सकता था।
एक जुलाई 2017 को आधी रात से देश भर में जीएसटी लागू हो गया था। इस दिन से देश भर में चल रहे 17 टैक्स और 26 सेस खत्म हो गए थे। जीएसटी काउंसिल ने देश भर में पांच स्लैब लगाए थे, जिनके हिसाब से ही लोगों को टैक्स देना शुरू किया था। केवल पेट्रोल-डीजल, तंबाकू उत्पाद, शराब, रसोई गैस सिलेंडर जैसी वस्तुओं को छोड़कर के बाकी सभी को इसके दायरे में लाया गया था।
जेटली की अध्यक्षता में ही एसबीआई में सहयोगी बैंकों व भारतीय महिला बैंक का विलय हुआ था। इसके बाद बैंक ऑफ बड़ौदा में देना बैंक और विजया बैंक का विलय किया गया था।
नोटबंदी, जीएसटी, डिजिटल ट्रांजेक्शन, एसबीआई और बैंक ऑफ बड़ौदा में कई बैंकों का विलय आदि कुछ ऐसे फैसले थे, जिनको लेने के लिए एक मजबूत इच्छाशक्ति होने की जरूरत चाहिए होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इनका असर सीधे तौर पर देश के प्रत्येक व्यक्ति पर पड़ा था।
नोटबंदी के बाद देश भर में डिजिटल बैंकिंग को बढ़ाने का श्रेय भी जेटली को जाता है। डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, मोबाइल वॉलेट, पीओएस मशीन, यूपीआई भीम ऐप जैसी सेवाओं को पूरे देश में शुरू करवाया गया था। इसके चलते नगद ट्रांजेक्शन में काफी कमी देखने को मिली और अब लोग इनका अधिक संख्या में प्रयोग करने लगे हैं।
वहीं वस्तुओं के एक राज्य से दूसरे राज्य में लाने-जाने के लिए ई-वे बिल एक अप्रैल 2018 से लागू किया गया था। इससे कारोबारियों को सामान ले जाने पर राज्यों के नाके पर चेकिंग कराने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
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