जानना जरूरी है:
अब सिर्फ 18% लोगों को है बाबाओं पर भरोसा, 82% लोगों की आस्था डगमगा रही है, जानिए बाबाओं के बारे में क्या सोचते हैं आम लोग20 सितंबर 2021 की दोपहर तीन से साढ़े 3 बजे के बीच अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महंत नरेंद्र गिरि का शव मिला। मामला आत्महत्या का बताया गया और शिष्य आनंद गिरि पर सीडी के जरिए ब्लैकमेल करने के आरोप लगे। इस मामले पर पूरे देश में बात हो रही है। पर क्यों? क्या भारत में आम लोगों की जिंदगी को बाबा प्रभावित करते हैं? करते हैं तो कितना? हममें से कितने लोगों की ऐसे बाबाओं में आस्था है?...
इन सवालों के जवाब के लिए हमने कई रिसर्च स्कॉलर्स, यूनिवर्सिटीज के प्रोफेसर्स, धार्मिक संस्थान और सर्वे एजेंसीज से बात की, लेकिन हमें कोई ठोस जवाब नहीं मिला। इस मामले पर इकलौता सर्वे दैनिक भास्कर ने सितंबर 2017 में किया था। तब 25 अगस्त को राम रहीम को कोर्ट ने रेप का दोषी करार दिया था। तब इस सर्वे में देश के 56 हजार 338 लोगों ने हिस्सा लिया था। इसके बाद फिर कभी देश में ऐसा कोई सर्वे नहीं कराया गया है। इसलिए हम आपको 4 साल पुराने सर्वे के जरिए ही बाबाओं के बारे में देश की आम जनता क्या सोचती है, ये बता रहे हैं-
Janardan010691 Baba log dhanda band hone wala hai...
Janardan010691 BJP Wali Sare Baba Log Dhongi Pakhandi hain. Lekin Aaj V Sahi Sadhu Santh hain Humare Desh mein.
Janardan010691 Nxxhbbbhnbhhbbbh essa
Janardan010691 ..सबकी आस्थाओं को चैक करने के लिए पैमाना लेकर घूमनेवालों कभी अपने प्रति आस्था को भी चैक किया है? बाबाओं ने क्या बिगाड़ा है आपका? किसी ने गलती की होगी तो कानून है. अभियान चलाने का मतलब? क्योंकि आपके हाथ में कलम है माइक है तो कुछ भी करोगे सैलेक्टिव होकर. शेन ऑन यू
Janardan010691 और इसी वजह से धर्मांतरण माफिया फल-फूल रहा है। पूर्ण राजकीय व राजनीतिक संरक्षण के तत्वावधान। क्या ये सामाजिक मूल्यों के ह्रास का परिणाम है या कोई साज़िश। हाँ कुछ बाबाओं ने भी कमी नहीं छोड़ी है।
Janardan010691 ये बाबा लोग हिन्दु धर्म के कोढ़ साबित हो रहे हैं। सन्यासी होने का दावा करते हुए तमाम भोग-विलाश व घृणित कु-कृत्यों में लिप्त देखे गए हैं । सामान्य हिन्दुओं को बाबा से दूरी रखने की जरूरत है।
Janardan010691 सुसु जर्नलिस्ट के बाद तांत्रिक जर्नलिस्ट
Janardan010691 सब बाबा लाइन में भीख मांगते फिरेंगे एक बार इनके पास जाना छोड़ दो
Janardan010691 इस सदी की सबसे बड़ी त्रासदी, बेटा बाप का नहीं,बाबा राम का नहीं।बाबा व्यापारी हैं , मक्कार और मदारी हैं । झूठ सच से ज़्यादा हैं असरदार,क्योंकि चोर के वेश में बैठा हैं पत्रकार।इंसान नेताओ से तो फिर भी निपट ले,पर उस रावण का क्या करे जो ओढ़ के राम की चादर हर पल सीता को हरे ।
Janardan010691 Thanks to the Indian film industry and left wing media houses
Janardan010691 INCIndia अपने षड्यंत्र मे कामयाब रही
Janardan010691 अब विश्वास नहीं होता की बाबा कौन है और ढोंगी कौन। और ढोंगी, फ़र्ज़ी बाबाओं के कारण ही कई बार जरूरतमंद और असली बाबा की पहचान नहीं हो पाती।
Janardan010691 सोचना क्या है ...भगवा पहनकर राजनीति का कल्चर जबसे देश मे आ गया ...धर्म का उसी दिन से ह्रास होने लगा !!!
Janardan010691 वैसे ही जैसे लोगो को मीडिया हाऊस पे दिन प्रति दिन 0% भरोसा हो रहा है और मुखर पे अभी दैनिक भास्कर ग्रुप ही है
Janardan010691 बाबाओं के ऐशो आराम की व्यवस्था और संचित धन दोनों ही संत समाज के सिद्धांत के प्रतिकुल है।ऐ लोग तो सांसारिक लोगों से भी ज्यादा मोह जाल से ग्रसित है और ऐ आश्रम अब भोग विलासिता का पर्यायवाची है जहां लम्बी लम्बी गाडियां इनके लिए उपलब्ध हैं और ऐ ज्ञान और ध्यान की बात करें हास्यास्पद है
Janardan010691 मुल्लो और पादरियों के बारे में सर्वे कब करवा रहे है
Janardan010691 Only andh vishwas ke sivaye kuch bhi nhi
Janardan010691 बाबा रामदेव🤣🤣
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