जल बिन कुछ नहीं

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सन् 2019 में देश की प्यास बुझाने और सिंचाई के लिए सरकार की नई नीति के तहत प्रधानमंत्री की ओर से देश के पंचायत प्रधानों को खत लिख कर अनुरोध किया था कि वे आने वाले बरसात के मौसम में जल संग्रहण करें।

यह प्रयास प्रशंसनीय था, लेकिन इस पर कितना अमल हुआ, यह संबंधित विभाग, अधिकारी और लोग ही जाने। नदी और जल के प्राकृतिक संसाधनों के सरताज देश में आज भी बहुत से क्षेत्र पीने वाले साफ पानी और सिंचाई के लिए तरसते हैं। देश की कृषि का बहुत बड़ा हिस्सा सिंचाई के लिए बारिश पर निर्भर है। यहां जल के प्राकृतिक स्रोत भी बहुत हैं और बरसात में बारिश भी खूब होती है। वर्षा के जल को संभाल कर रखने पर देश की प्यास बुझाई और सिंचाई की जा सकती है। गिरते भूजल स्तर को कुछ सुधारने के लिए भी बारिश के पानी को संभालना बहुत...

सरकारों और प्रशासन ने ढुलमुल रवैया अपनाया है। अगर वर्षा जल संरक्षण के लिए बने नियमों का वाकई पालन हो रहा होता तो आज आसमान से बरसने वाली अमृत की बूंदें नालों-नालियों मे बेकार न बहतीं, बल्कि लगभग हर घर, दफ्तर और कारखानों में वर्षाजल हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा कर लोग इन अमृत की बूंदों को संभाल कर रखते। प्रकृति से छेड़छाड़ के कारण मौसम का चक्र भी बिगड़ गया है। सरकार को इसके लिए कुछ ठोस बंदोबस्त करना चाहिए। पानी के प्राकृतिक स्रोतों को पुनर्जीवित करने और इनके संरक्षण के लिए भी सरकार को किसानों की आर्थिक...

 

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