चेरापूंजी के पास एक खासी गांव नोंगट्रॉ कई मामलों में खास है. संयुक्त राष्ट्र के फूड एंड एग्रीकल्चरल ऑर्गेनाइजेशन ने अपनी रिपोर्ट में दुनिया भर में स्वदेशी लोगों की भोजन प्रणाली के जिन आठ उदाहरणों का जिक्र किया है उनमें मेघालय का यह गांव और यहां रहने वाले लोग भी शामिल हैं. दुनिया में सबसे ज्यादा बारिश वाले मेघालय चेरापूंजी इलाके में बसे गांव नोंग्ट्रॉ में रहने वाले खासी समुदाय के लोगों में शहद की भारी मांग है. वे अक्सर इसे एकत्र करने जंगल में जाते हैं.
संयुक्त राष्ट्र के फूड एंड एग्रीकल्चरल ऑर्गेनाइजेशन ने अपनी रिपोर्ट में दुनिया भर में स्वदेशी लोगों की जिन आठ भोजन प्रणाली की प्रोफाइल तैयार की है उसमें मेघालय का खासी समुदाय भी शामिल है. इस समुदाय के लोग अपना भोजन जुटाने के लिए झूम खेती, किचन गार्डन और वाटर शेड में खेती जैसे विभिन्न पारंपरिक तरीकों का इस्तेमाल करते हैं. खास बात यह है कि इन फसलों में किसी रासायनिक खाद का बिल्कुल इस्तेमाल नहीं किया जाता.दुनिया में हर साल कीटनाशकों के जहर से बीमार होने के 38 करोड़ से भी अधिक मामले सामने आते हैं.
फिलहाल झूम खेतों या घर से सटे बागानों में 63 किस्म की फसलें और फल उगाए जाते हैं. इनमें अनाज, फलियां, जड़ें, कंद, सब्जियां, फल और बीज का अलावा अन्य खाद्य प्रजातियां शामिल हैं. मिसाल के तौर पर झूम प्रणाली से आलू की 12 और शकरकंद की सात किस्में पैदा होती हैं.स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स ट्रीज रिपोर्ट के मुताबिक खेती के लिए वनों की सफाई जंगली पेड़ों की प्रजातियों के खात्मे के लिए सबसे बड़ा कारण है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पेड़ों को विलुप्त होने से रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है.
इंडिया ताज़ा खबर, इंडिया मुख्य बातें
Similar News:आप इससे मिलती-जुलती खबरें भी पढ़ सकते हैं जिन्हें हमने अन्य समाचार स्रोतों से एकत्र किया है।
स्रोत: Jansatta - 🏆 4. / 63 और पढो »
स्रोत: Quint Hindi - 🏆 16. / 51 और पढो »
स्रोत: Dainik Jagran - 🏆 10. / 53 और पढो »
स्रोत: Webdunia Hindi - 🏆 17. / 51 और पढो »
स्रोत: Jansatta - 🏆 4. / 63 और पढो »
स्रोत: Amar Ujala - 🏆 12. / 51 और पढो »