जर्मनी के कुल 16 राज्यों में से मेकलेनबुर्ग-फोरपोमेर्न में गर्मी की छुट्टियां सबसे पहले खत्म हुई हैं. इसी के साथ वह पहला राज्य है जहां सभी 152,700 छात्रों को वापस स्कूल आने को कहा गया है. इस साल मार्च के मध्य में स्कूल बंद होने के बाद से ऐसा पहली बार हुआ है कि सबको आने की अनुमति मिली है. लेकिन महामारी के खतरे को कम करने के लिए कई तरह की सावधानियां बरती जानी हैं. संक्रमण के खतरे को कम से कम रखने के लिए छात्रों को ऐसे समूहों में बांटा गया है जिन्हें आपस में नहीं मिलना जुलना है.
इस उत्तरी जर्मन राज्य के रॉस्टॉक शहर के रॉयटर्सहागन ग्रामर स्कूल के हेड टीचर यान बोनिन ने इन नियमों पर भरोसा जताते हुए कहा,"बिल्डिंग के अंदर हॉल में सबको मास्क पहन कर रहना है.” उन्होंने बताया कि जो छात्र इन नए नियमों को लेकर थोड़े घबराए हुए हैं उन पर शिक्षक अलग से ध्यान दे रहे हैं और उनकी मदद कर रहे हैं. हालांकि यह साफ है कि मास्क ना पहनना कोई विकल्प नहीं है और ऐसा ना करने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा.
जर्मनी के सबसे उत्तरी राज्य श्लेस्विग-होल्सटाइन में स्थित कई द्वीपीय इलाकों में भी सोमवार से ही स्कूल खुले हैं, केवल पोर्ट सिटी हैम्बर्ग में इसी हफ्ते में कुछ दिन देर से पढ़ाई शुरु होनी है. इसके अलावा देश की राजधानी और सिटी-स्टेट बर्लिन और पड़ोसी राज्य ब्रैंडनबुर्ग में अगले हफ्ते से स्कूल खुलने हैं. जर्मनी के पश्चिम में स्थित देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया और श्लेस्विग-होल्सटाइन के बाकी हिस्सों में भी एक हफ्ते बाद ही स्कूल खोले जाएंगे.
यह विरोध प्रदर्शन बर्लिन में कई अलग अलग जगहों पर आयोजित हुए और वे नोवेल कोरोना वायरस पर काबू पाने के नाम पर उठाए गए कदमों का विरोध कर रहे थे. पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, पूरे शहर में करीब 1,110 पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे. मुख्य रैली के दौरान पुलिस की लोगों के साथ झड़पें हुईं जब उन्होंने प्रदर्शनकारियों और आयोजकों को वहां से हटाने की कोशिश की.
जर्मनी में कोरोना वायरस संक्रमणों के बढ़ने का सिलसिला जारी होने के बावजूद प्रदर्शनकारियों जैसा एक तबका है जो इससे जुड़े सभी नियमों, पाबंदियों को अपनी आजादी और अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन मानता है. महामारी की शुरुआत से अब तक जर्मनी में दो लाख से भी अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं और 9,141 लोगों की जान जा चुकी है. हालांकि माना जाता है कि विश्व और यूरोप के ही कई अन्य देशों के मुकाबले जर्मनी ने इस महामारी का बेहतर तरीके से सामना किया है.
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