जय प्रकाश नारायण के घर अचानक पहुंच गया था चंबल का इनामी डकैत, अड़ गया था एक जिद पर

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सरेंडर करने की अर्जी लेकर इनामी डाकू पटना स्थित जयप्रकाश नारायण के घर पहुंच गया था। इसके बाद जेपी ने एक मूवमेंट की शुरुआत की थी जिसके बाद 400 डाकुओं का आत्मसमर्पण करवाया गया था।

जयप्रकाश नारायण की आज 42वीं पुण्यतिथि है। जयप्रकाश नारायण को जेपी या लोकनायक के नाम भी जाना जाता था। उनकी पक्ष और विपक्ष दोनों तरफ स्वीकार्यता होती थी और देश के बड़े-बड़े नेता उनका बहुत सम्मान करते थे। यही वजह थी कि एक आत्मसमर्पण करने की अर्जी लेकर इनामी डकैत उनके घर जा पहुंचा था, जिसे देखकर वो खुद हैरान रह गए थे। इसके बाद जेपी ने 400 से ज्यादा इनामी डकैतों का आत्मसमर्पण करवाया था।जयप्रकाश नारायण की जीवनी ‘The Dream Of Revolution’ में बिमल प्रसाद और सुजाता प्रसाद लिखते हैं, ‘मध्य प्रदेश,...

यहां उसने जेपी से गुजारिश की थी कि वह उनके समर्पण की आवाज को सरकार तक पहुंचाएं। जयप्रकाश ने शुरुआत में उसे टालने की कोशिश की, लेकिन वो उनके मुंह से नहीं सुनने के पक्ष में बिल्कुल नहीं था। थोड़ी बातचीत के बाद उस व्यक्ति ने अपनी पहचान जेपी के आगे उजागर की। वह कोई और नहीं बल्कि एक लाख का इनामी डकैत माधो सिंह था। विचार-विमर्श के बाद आखिरकार जेपी ऐसा करने के लिए तैयार हुए और उन्होंने तीनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों को इसको लेकर एक पत्र भी...

जेपी की तबीयत भी उस दौरान काफी खराब थी और वह दिल की बीमारी से जूझ रहे थे। उनके डॉक्टर भी ये सुनकर चकित रह गए थे कि इतनी खराब हालत के बावजूद उन्होंने अचानक चंबल की घाटियों में जाने का फैसला किया था। जेपी ने इसके पीछे तर्क दिया था कि बागियों को करने के लिए उन्हें खुद चंबल जाना होगा। इसके बाद उनकी टीम ने बुंदेलखंड के इलाकों में काम करना शुरू कर दिया था। ये काम ‘चंबल घाटी शांति मिशन’ के तहत शुरू किया था, जिसकी स्थापना अक्टूबर 1971 में की गई थी। इसका उद्देश्य देशभर के बागी गैंग से संपर्क कर उन्हें...

 

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