Ashok Gehlot Government Vs Rajasthan BJP; Jaipur Municipal Corporation Greater Mayor BJP Councillors Suspendedएक्सपर्ट बोले, सरकार ने बिना सुने फैसला सुनाया; ये संविधान के विपरित, पहली सुनवाई में ही स्टे मिलने की संभावनाराजस्थान के इतिहास में पहली बार सरकार ने किसी नगर निगम के मेयर को निलंबित किया है। जयपुर नगर निगम ग्रेटर मेयर और तीन पार्षदों को निलंबित करने के बाद प्रदेश की राजनीति में भूचाल आ गया है। भाजपा ने सरकार के इस फैसले की तुलना इमरजेंसी काल से की है।ने इस मामले में लॉ एक्सपर्ट से यह...
सरकार के इस निर्णय को कानून से जुड़े एक्सपर्ट गलत मान रहे हैं। इनके अनुसार सरकार के इस निर्णय पर हाईकोर्ट की पहली सुनवाई में ही स्टे मिलने की संभावना है, क्योंकि इस मामले में सरकार ने विभागीय जांच तो बैठा दी, लेकिन एक तरफा पक्ष सुनते हुए मेयर और पार्षदों की कोई सुनवाई नहीं की। ऐसे मामलों में सरकार को हाईकोर्ट से झटका लग सकता है।के अनुसार सरकार अगर कोई भी जनप्रतिनिधि को किसी शिकायत पर निलंबित करती है तो उससे पहले उस प्रतिनिधि को नोटिस जारी करके उसका पक्ष लिखित या मौखिक तौर पर सुना जाता है। इसके...
4 मई को मेयर-कमीश्नर के बीच हुए विवाद के बाद मचे बवाल को देखते हुए नगर निगम में पुलिस फोर्स तैनात की थी।जयपुर नगर निगम ग्रेटर मेयर सौम्या गुर्जर और निगम कमिश्नर यज्ञमित्र सिंह के बीच ये विवाद 4 मई को शुरू हुआ था, जब डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण करने वाली कंपनी BVG के भुगतान की एक फाइल पर चर्चा के लिए दोनों के बीच मेयर के चैम्बर में बैठक हुई। इस बैठक में जब दोनों के बीच हॉट-टॉक हुई तो कमिश्नर बैठक से बाहर आने लगे। वहां मौजूद कुछ पार्षदों ने दरवाजे पर कमिश्नर को हाथ पकड़कर रोक लिया। कमिश्नर ने इस मामले...
अगले दिन 4 मई देर रात इस मामले में नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने जांच के आदेश दिए और स्वायत्त शासन निदेशालय ने क्षेत्रीय उपनिदेशक को जांच सौंपी। उपनिदेशक ने 5 जून को मेयर को पत्र लिखकर उसी दिन दोपहर 3 बजे तक अपने बयान देने के लिए कहा। मेयर ने पत्र लिखकर इसके लिए समय मांगा। उपनिदेशक ने 6 जून दोपहर 2 बजे तक बयान देने का समय दिया। मेयर के नहीं आने पर देर शाम 6 बजे उपनिदेशक ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी और देर रात 11:30 बजे आदेश जारी कर मेयर को निलंबित कर...
मेयर और कमिश्नर के बीच इससे पहले दो बार विवाद हो चुका है, जब नगर निगम समितियों का गठन कमिश्नर ने गैरकानूनी मानते हुए सरकार को रिपोर्ट दी थी। इसके अलावा 22 मई को विद्याधर नगर से कच्ची बस्ती हटाने के मामले में भी मेयर और कमिश्नर के बीच विवाद हुआ था।इससे पहले भी सरकार को नगर निगम समितियों के गठन मामले में झटका लग चुका है। नगर निगम में जब बोर्ड से समितियों का गठन होकर मंजूरी के लिए राज्य सरकार को पास प्रस्ताव गया था, तब सरकार ने सभी समितियों को नियमों के विपरीत मानते हुए निरस्त कर दिया था। तब सरकार...
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